सीएसआईआर-आईएचबीटी में पोषण मैत्री अभियान पर कार्यक्रम
सीएसआईआर-आईएचबीटी में दिनांक 25 अप्रैल 2022 को महिला एवं बाल विकास निदेशालय, भारत सरकार के सहयोग से पोषण अभियान के अन्तर्गत सीएसआईआर-आईएचबीटी द्वारा समन्वित पोषण मैत्री कार्यक्रम की प्रगति एवं भविष्य कार्ययोजना पर समारोह किया गया।
समारोह में मुख्य अतिथि डॉ. निपुण जिंदल, उपायुक्त कांगड़ा, हिमाचल प्रदेश ने पोषण मैत्री कार्यक्रम के सफल संचालन के लिए सीएसआईआर-आईएचबीटी, बाल विकास परियोजना अधिकारियों एवं सभी उपस्थित प्रतिभागियों को बधाई दी। अपने संबोधन में उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय परिवार और स्वास्थ्य सर्वेक्षण 2016 एवं 2020 के आंकड़े बहुत ही चिंतनीय हैं। बच्चों एवं महिलाएं सामान्य से कम वजन, स्टंटिंग या एनीमिया से कुपोषित हैं। पोषण पर नीति तर्कसंगत होनी चाहिए। संस्थान द्वारा पोषण हेतु विकसित उत्पादों के परिणाम एवं कार्यक्रम बहुत ही सकारात्मक हैं। इसे देखते हुए इस कार्यक्रम को पूरे जिला कांगड़ा में विस्तार करने पर विचार किया जाएगा। साथ ही 0 से 2 वर्ष के बच्चों को भी इस पोषण अभियान के अन्तर्गत लाने की आवश्यकता है।
इससे पूर्व डॉ. संजय कुमार, निदेशक, सीएसआईआर-आईएचबीटी ने बताया कि संस्थान ने बच्चों एवं महिलाएं के लिए पोषण हेतु आयरन, प्रोटीन और फाइबर युक्त उत्पादों को विकसित किया है। विटामिन डी से भरपूर सिटाके मशरुम केप्सूल भी तैयार किए हैं। उन्होंने आगे बताया कि सीएसआईआर-आईएचबीटी ने अनाजों और दालों, सूक्ष्म शैवाल और कम उपयोग वाले कृषि-बागवानी उत्पादों का उपयोग करके प्रोटीन एवं सूक्ष्म पोषक तत्वों के कुपोषण से निपटने के लिए विभिन्न कम लागत वाले उत्पाद विकसित किए हैं। प्रि-क्लीनिकल पशु मॉडल में इसकी जैव-प्रभावकारिता के लिए उत्पादों का मूल्यांकन किया गया है और बड़े पैमाने पर पूरक कार्यक्रमों में एकीकरण के लिए चिकित्सकीय परीक्षण भी किया गया है।
संस्थान के निदेशक डा. संजय कुमार ने माननीय राज्यपाल का स्वागत करते हुए संस्थान की प्रमुख उपलब्धियों एवं गतिविधियों का विवरण प्रस्तुत करते हुए बताया कि संस्थान द्वारा किसानों को सुगंधित फसलें विशेषकर जंगली गेंदे को उगाने एवं इसके प्रसंस्करण के लिए अलग-अलग राज्यों में आसवन इकाइयाँ स्थापित की गईं। संस्थान, ग्रामीण क्षेत्रों में जंगली गेंदे, दमस्क गुलाब, लेमन घास, सुगंधबाला आदि जैसे सुगंधित फसलों की खेती और प्रसंस्करण द्वारा किसानों की आय बढ़ाने में सक्रिय भूमिका निभा रहा है जिससे किसान परम्परागत फसलों की अपेक्षा अधिक आय प्राप्त करके आत्मनिर्भता की ओर बढ़ रहे हैं। प्रशिक्षण कार्यक्रमों के माध्यम से किसानों, बेरोजगार युवाओं, उद्यमियों में क्षमता निर्माण संस्थान का एक महत्वपूर्ण पक्ष रहा है। उन्होंने कहा कि संस्थान ने बड़ी संख्या में लोगों को फूलों की खेती और शहद उत्पादन के क्षेत्रों से जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। दालचीनी एवं मोती उत्पादन के क्षेत्र में भी संस्थान ने कदम आगे बढ़ाए हैं। हींग और केसर की शुरूआत के अलावा, संस्थान ने दालचीनी और मोती की खेती के क्षेत्र में भी प्रगति की है। उन्होंने आगे कहा कि प्रशिक्षण कार्यक्रमों के माध्यम से किसानों, बेरोजगार युवाओं, उद्यमियों के बीच क्षमता निर्माण संस्थान का एक महत्वपूर्ण पहलू रहा है।
इस अवसर पर डॉ विद्याशंकर, सीएसआईआर-आईएचबीटी ने पोषण अभियान के अंतर्गत किए गए कार्यों पर संक्षिप्त प्रेजेंटेशन दी। श्री अश्विनी कुमार, जिला कार्यक्रम अधिकारी एवं श्रीमती रेणु शर्मा, बाल विकास परियोजना अधिकारी, पंचरूखी ने भी अपने विचार रखे।
इस कार्यक्रम में उपमडंल अधिकारी डा. अमित गुलेरिया, बाल विकास परियोजना अधिकारी बैजनाथ, पंचरूखी, भवारना, सुलह, लंबागांव, पोषण अभियान सुपरवाइजर एवं समन्वयक, आंगनबाड़ी एवं आशा कार्यकर्ता और सीएसआईआर-आईएचबीटी संस्थान के स्टाफ ने प्रतिभागिता की।