CSIR
The Council of Scientific & Industrial Research (CSIR), known for its cutting edge R&D knowledgebase in diverse S&T areas, is a contemporary R&D organization. Having pan-India presence, CSIR has a dynamic network of 38 national laboratories, 39 outreach centres, 3 Innovation Complexes and 5 units.
News & Events
83rd CSIR Foundation Day Celebrations
closeसीएसआईआर-आई एच बी टी में 83वें सी एसआईआर स्थापना दिवस समारोह का आयोजन
सी एसआईआर-हिमालय जैवसंपदा प्रौद्योगिकी संस्थान, पालमपुर में वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद् (सी एसआईआर) का 83वां स्थापना दिवस समारोह दिनांक 17 अक्टूबर 2024 को बडे़ हर्षोल्लास से मनाया गया। सन् 1942 में भारत की सबसे बड़ी परिषद, सी एसआईआर, की स्थापना हुई थी और इसे विभिन्न क्षेत्रों में अत्याधुनिक ज्ञान-विज्ञान के लिए विश्व भर में जाना जाता है। संपूर्ण भारत में अपनी 37 राष्ट्रीय प्रयोगशालाओं, 39 आउटरीच केंन्द्रो, एक नवाचार परिसर, एवं तीन यूनिट्स के माध्यम से सी एसआईआर राष्ट्र की सेवा में अपना योगदान दे रहा है।
समारोह के मुख्य अतिथि पद्मभूषण प्रो. आर.एस. परोदा, चेयरमैन, टी ए ए एस एवं पूर्व महानिदेशक, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, ने सी एसआईआर को शुभकामनाएं देते हुए संस्थान की शोध गतिविधियों एवं ग्रामीण आर्थिकी के उन्नयन में महत्वपूर्ण भूमिका एवं योगदान के लिए संस्थान की सराहना की। अपने संबोधन में उन्होंने ‘उत्तरी हिमालय की कृषि जैवविविधता का प्रबन्धन’ विषय पर संभाषण दिया। उन्होने कहा कि विज्ञान ने हमें कृषि क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाया है। प्रत्येक पौधे में विविध गुण होते हैं जिनका उपयोग कई प्रकार की औषधियों तथा उत्पाद बनाने के लिए किया जाता है। इनका हमारे दैनिक जीवन में अत्यधिक महत्व है। अतः जैवविविधता का संरक्षण एवं सतत उपयोग होना चाहिए जिस के लिए हम सब को मिलकर कार्य करना होगा।
समारोह के विशिष्ट अतिथि, पद्मभूषण एवं पद्मश्री डॉ. अनिल जोशी, संस्थापक, हिमालयन पर्यावरण एवं संरक्षण संगठन (हेस्को), देहरादून ने अपने संबोधन में कहा कि पर्यावरण संरक्षण समय की आवश्यकता है। यदि हम अभी भी जल, भूमि, वायु, वन के प्रति जागरूक न हुए तो भावी पीढ़ी के लिए जीवन बहुत कठिन हो जाएगा। उन्होने पारिस्थितिकी पर विशेष बल दिया तथा हिमालय क्षेत्र की विशिष्ट भौगोलिक एवं सामाजिक जरूरतों पर प्रकाश डाला।
इससे पहले संस्थान के निदेशक डा. सुदेश कुमार यादव ने अतिथियों का स्वागत करते हुए संस्थान की प्रमुख वैज्ञानिक उपलब्धियों के बारे में बताया। उन्होने जैव-आर्थिकी को बढावा देने में संस्थान के सामर्थ्य तथा नए अवसरों के बारे में विस्तार से चर्चा की। उन्होने कहा, संस्थान ने पुष्प एवं सगंध फसलों की कृषि तकनीक विकसित करके किसानों एवं उद्यमियों को आत्मनिर्भता की ओर अग्रसर किया हैं। संस्थान जननी सुरक्षा कार्यक्रम के अंतर्गत पोषण से भरपूर उत्पादों को राज्य सरकार को उपलब्ध करा रहा है। उन्होने कहा, हमारा दायित्व है कि राष्ट्र एवं विश्व की अपेक्षाओं को पूरा करने की दिशा में प्रयासरत रहें।
इस अवसर पर सी एसआईआर-आई एच बी टी में 25 वर्ष का सेवा काल पूर्ण करने वाले, तथा इस वर्ष सेवानिवृत्त हुए कार्मिकों का अभिनंदन किया गया। पढ़ाई एवं खेलों में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले संस्थान के कार्मिकों के बच्चों को भी सम्मानित किया गया। साथ ही साथ संस्थान द्वारा विकसित प्रौद्योगिकियों को दो उद्यमियों तथा दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के साथ शैक्षणिक तथा शोध कार्यो के लिए समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर भी किए गए।
इस अवसर पर एक कार्यशाला “ हिमालय में जलवायु परिवर्तन के परिदृश्य के तहत बागवानी उत्पादन को बनाए रखना” का शुभारंभ भी किया गया।
Hindi Diwas
closeहिंदी दिवस का आयोजन
सी.एस.आई.आर - हिमालय जैवसंपदा प्रौद्योगिकी संस्थान में 19 सितम्बर को हिंदी दिवस का आयोजन किया गया तथा 30 अगस्त 2024 से प्रारंभ हुए हिंदी पखवाड़े का समापन हुआ।
इस अवसर पर सीएसआईआर- राष्ट्रीय विज्ञान संचार एवं नीति अनुसंधान संस्थान(निस्पर), नई दिल्ली से विज्ञान प्रगति के संपादक डा. मनीष मोहन गोरे ने हिंदी में विज्ञान लेखन की बातें: कुछ जानी कुछ अनजानी’ विषय पर अपनी प्रस्तुति दी। अपनी प्रस्तुति में उन्होंने विज्ञान लेखन से जुड़ी बारिकियों, विज्ञान संचार के उद्देश्यों और सामाजिक लाभों के बारे में चर्चा की। उन्होंने वैज्ञानिको से अपील किया कि वे अनुसंधान के साथ-साथ अपने प्रयोग और शोध के बारे में जन सामान्य से भी संवाद स्थापित करें। ऐसे प्रयासों से आम जन में विज्ञान को लेकर एक समझ विकसित होगी तथा उनका नजरिया तार्किक होगा।
संस्थान के निदेशक डा. सुदेश कुमार यादव ने अपने संबोधन में कहा कि आज का विषय बहुत ही प्रासंगिक है। आवश्यकता है कि विज्ञान के क्षेत्र में हो रहे अनुसंधान, उपलब्धियां जन-जन तक पहुँचें, क्योंकि यदि ये उपलब्धियां आम लोगों तक नहीं पहुँचेंगी, तो ऐसे अनुसंधान की क्या सार्थकता? राष्ट्रीय स्तर पर राजभाषा हिन्दी ही एक ऐसी भाषा है जिसके माध्यम से वैज्ञानिक उपलब्धियों को जन-जन तक पहुँचाने का कार्य सफलतापूर्वक किया जा सकता है। उन्होंने वैज्ञानिकों से आह्वान किया कि वे अपने शोध को जन साधारण तक पहुंचाने की दिशा में प्रयास करें। हिंदी माध्यम से तैयार करके संस्थान का एक वार्षिक प्रकाशन के रूप में तैयार करें। साथ ही शोध एवं विकास संबन्धी उपलब्धियों को जन-जन तक पंहुचाने की दिशा में संस्थान द्वारा अंग्रेजी में प्रकाशित संस्थान की शोध उपलब्धियों की सफलता की कहानियों को हिंदी अनुवाद उपलब्ध कराने की कृपा करें ताकि अंतिम संपादन करके इसे प्रकाशित किया जाए। उन्होंने हिंदी पखवाड़ा के अंतर्गत आयोजित की जाने वाली प्रतियोगिताओं के विजेताओं को अपनी शुभकामनाएं दीं तथा सभी कर्मियों से आह्वान किया कि इनसे प्रेरणा लेते हुए आने वाले समय में इन आयोजनों में अपनी सक्रिय प्रतिभागिता सुनिश्चित करें।
इस अवसर पर विभिन्न प्रतियोगिताओं के विजेताओं को पुरस्कृत भी किया गया। मंच का संचालन संस्थान के हिंदी अधिकारी श्री संजय कुमार ने किया तथा प्रशासनिक अधिकारी श्री वीरेन्द्र लाम्बा ने धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया।
42nd CSIR-IHBT Foundation Day Celebrations
closeसीएसआईआर-आईएचबीटी, पालमपुर का 42वां स्थापना दिवस समारोह
42nd Foundation Day Celebrations of CSIR-IHBT
सी एस आई आर-हिमालय जैवसंपदा प्रौद्योगिकी संस्थान, पालमपुर ने 2 जुलाई 2024 को अपना 42वां स्थापना दिवस मनाया।
इस अवसर पर मुख्य अतिथि डॉ. (श्रीमती) एन. कलैसेल्वी, माननीय महानिदेशक, सी एस आई आर एवं सचिव डी एस आई आर, भारत सरकार ने संस्थान के कार्य की सराहना और स्थापना दिवस की हार्दिक बधाई दी।। अपने संबोधन में उन्होने कहा कि विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी से देश को बहुत अधिक उम्मीद है। अतः हमारा दायित्व है कि राष्ट्र एवं विश्व की अपेक्षाओं को पूरा करने की दिशा में प्रयासरत रहें। हिमालय में अपार संभावनाएं है एवं संस्थान को जैवसंपदा से जैवार्थिकी की ओर सदा अग्रसर रहना चाहिए।
समारोह की विशिष्ट अतिथि महामहिम अनीसा के. बेगा उच्चायुक्त, संयुक्त गणराज्य तंजानिया उच्चायोग, भारत, नई दिल्ली ने अपने संबोधन में सी एस आई आर-आई एच बी टी स्थापना दिवस की शुभकामनाएं देते हुए संस्थान की उपलब्धियों की सराहना की। उन्होने कहा जैवसंपदा जीवन का आधार हैं और दोनों देश मिलकर इस क्षेत्र में आगे बढ़ सकते हैं।
प्रो. रेखा सिंघल, प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष, खाद्य इंजीनियरिंग एवं प्रौद्योगिकी विभाग, रासायनिक प्रौद्योगिकी संस्थान (आईसीटी), मुंबई ने “सतत खाद्य उत्पादन एवं प्रसंस्करण - वर्तमान समय की अत्यावश्यकता” विषय पर स्थापना दिवस व्याख्यान दिया तथा 17 सतत विकास लक्ष्यों की ओर ध्यान आकर्षित किया।
इससे पूर्व, सी एस आई आर-आई एच बी टी के निदेशक डा. सुदेश कुमार यादव ने संस्थान की उपलब्धियों पर प्रकाश डालते हुए जैवआर्थिकी को बढ़ावा देने में संस्थान का सामर्थ्य तथा नए अवसरों के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने बताया कि अरोमा मिशन के तीसरे चरण के अंतर्गत सी एस आई आर-आई एच बी टी ने ग्यारह राज्यों और दो केंद्र शासित प्रदेशों में सगंध फसलों की खेती के अंतर्गत क्षेत्र को बढ़ाया है। सी एस आई आर-फ्लोरीकल्चर मिशन के अंतर्गत हिमाचल प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, उत्तराखंड और लद्दाख के लगभग एक हज़ार किसानों को गुणवत्ता युक्त रोपण सामग्री वितरित की गई है।
इस अवसर पर संस्थान के वार्षिक प्रतिवेदन 2023-24 तथा सी एस आई आर-आई एच बी टी सक्सैस स्टोरिज़ का भी विमोचन किया। इसके साथ ही फ्लोरिकल्चर एवं हाइपेरिकम पर 2 ब्रोशर भी विमोचित किए गए।
समारोह के दौरान संस्थान ने एम्पावरिंग फार्मर्स फाउंडेशन तंजानिया के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए। साथ ही दो प्रौद्योगिकी हस्तांतरण समझौते, ज़नानी नुट्रसनल्स प्राइवेट लिमिटेड, तमिलनाडू एवं मनी एंड कंपनी, अंब, भी किए गए। किसानों को सगंध पादप के बीज भी वितरित किए गए।
स्थापना दिवस के अवसर पर संस्थान में टाईप-4 के नवनिर्मित आवासों, होस्टल परिसर में व्यायामशाला, स्वायत हरित गृह का उद्घाटन तथा बनूरी फार्म की चारदिवारी निर्माण का शिलान्यास भी किया। उद्यमियों, स्टार्ट-अप के साथ विचार विमर्श एवं एक प्रदर्शनी का आयोजन भी किया गया।
इस अवसर पर सी एस आई आर जिज्ञासा कार्यक्रम के अन्तर्गत पीएम श्री केंद्रीय विद्यालय पालमपुर, जिला काँगड़ा, हिमाचल प्रदेश के 50 छात्रों व 03 अध्यापकों नें भाग लिया । कृषि विश्वविद्यालय के 50 छात्रों तथा काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, बनारस के 30 छात्रों ने संस्थान की शोध एवं विकास गतिविधियों का अवलोकन किया।
समारोह में संस्थान के कर्मचारी, छात्र, पूर्व कमर्चारी, उद्यमी एवं उत्पादक, नगर के गणमान्य व्यक्ति, तथा मीडिया के प्रतिनिधि भी शामिल हुए।
National Technology Day Celebrations
closeसीएसआईआर-आईएचबीटी, पालमपुर में राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस समारोह का आयोजन
National Technology Day Celebrations
सी एसआईआर-हिमालय जैवसंपदा प्रौद्योगिकी संस्थान, पालमपुर में राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस 13 मई 2024 को मनाया गया। प्रौद्योगिकी का राष्ट्र उत्थान में अभूतपूर्व योगदान रहा है और इसी के प्रतीक के रूप में यह दिवस मनाया जाता है।
इस अवसर पर संस्थान के निदेशक डा. सुदेश कुमार यादव ने अतिथियों का स्वागत करते हुए प्रौद्योगिकी दिवस की शुभकामनाएं दी। अपने संबोधन में उन्होंने बताया कि कैसे प्रौद्योगिकी हमारे जीवन में परिवर्तन ला रही है और ज्ञान के प्रसार को गति दे रही है। उन्होंने कहा की संस्थान विभिन्न परियोजनाओं एवं मिशन के माध्यम से जन समुदाय के समाजिक एवं आर्थिक विकास में अपना योगदान दे रहा है। अरोमा, फ्लॉरिकल्चर, फाइटोफार्मास्यूटिकल्स मिशन के अन्तर्गत संस्थान किसानों को उन्नत फसलों को उगाने एवं उनके प्रसंस्करण द्वारा किसानों की आय बढ़ाने में सक्रिय भूमिका निभा रहा है। उन्होने संस्थान द्वारा विकसित प्रोद्योगिकियों का विवरण प्रस्तुत किया तथा उनकी उपयोगिता पर भी प्रकाश डाला। संस्थान के कार्मिकों का उन्होने उत्साहवर्धन भी किया।
समारोह के मुख्य अतिथि प्रो. (डा.) अरुण कुमार सिन्हा, पूर्व मुख्य वैज्ञानिक, सीएसआईआर-सी डीआरआई एवं पूर्व उप कुलपति, रांची विश्वविद्यालय, झारखंड ने अपने संबोधन में कहा कि देश की उन्नति में प्रौद्योगिकी का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। उन्होने इस बात पर बल दिया कि हमे असफलता से घबराना नहीं है अपितु उससे आगे बढ़ने की प्रेरणा लेनी है। अपने संबोधन में उन्होंने वैज्ञानिक अभिरुचि को बढ़ाने के लिए छात्रों का मार्गदर्शन किया।
कार्यक्रम के मुख्य वक्ता डॉ. शीर्षेन्दु मुखर्जी, मिशन निदेशक, कार्यक्रम प्रबंधन इकाई, डी बी टी-बीआईआर ए सी, नई दिल्ली; ने आत्मनिर्भर भारत के लिए इनोवेशन इकोसिस्टम विषय पर प्रौद्योगिकी दिवस संभाषण दिया। उन्होने विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार पर विशेष बल दिया और सरकार द्वारा चलाई जा रही नवीन योजनाओं जैसे कि बायोनेस्ट, सितारे, बीआईपीपी, पीएसीई, इत्यादि का जिक्र किया। डॉ. मुखर्जी ने बताया कि ये योजनाएं किस तरह से मूलभूत परिवर्तन ला रही हैं तथा नवाचार को बढ़ावा दे रही हैं।
इस अवसर पर चार प्रौद्योगिकी हस्तांतरण- गोंदला कट फ्लावर क्लस्टर, लाहौल & स्पीति (लिलीयम कंद हेतु); कोमल इनोवेशन एंड वेलनेस, नगरोटा बागवा (ऐरोपोनिक्स हेतु); प्रोरिमा हैल्थकेयर, जयपुर (सीबकथोर्न चाय हेतु); सात्विक एग्रीटेक लैब, कानपुर (एनआरडीसी नई दिल्ली के माध्यम से हाइड्रोपोनिक हेतु) और एक समझौता ज्ञापन, एम/स बैजनाथ फार्मास्यूटिकल्स, पपरोला (वैल्यू एडिशन हेतु) पर भी हस्ताक्षर किए गए।
सीएसआईआर फ्लॉरिकल्चर मिशन के अंतर्गत, संस्थान द्वारा सी एस आई आर-आई एच बी टी: सफलता की कहानियां पर एक पुस्तिका का विमोचन भी किया गया।
समारोह में कैरियर प्वाइंट यूनिवर्सिटी, हमीरपुर के छात्र और संकाय सदस्य, संस्थान के स्टाफ, क्षेत्र के गणमान्य व्यक्तियों, सीएसआईआर-आईएचबीटी के वैज्ञानिकों, शोध छात्रों, कर्मियों एवं मीडिया प्रतिनिधियों ने सहभागिता दर्ज की।
Swachhata Pakhwada - 2024
closeस्वच्छता पखवाड़ा - 2024
Swachhata Pakhwada 2024
(1-15th May 2024)
CSIR-IHBT is celebrating Swachhata Pakhwada from 1st-15th May 2024. On first day, Director CSIR-IHBT administered the Mass Swachhta pledge to all the staff members & research scholars. This was followed by Swachhata Rally from the Directorate towards the main gate and residential complex.
On 2nd May 2024, a plantation drive was organized in CSIR-IHBT Campus. Annual floriculture seedlings (Marigold and Tuberose) were planted by Director, scientists, along with staff members & research scholars.
On 3rd May there were a mass awareness program was held at Neugal Public Sr. Sec. School, Bindraban engaging 200 students and 20 teachers. The event was conducted under the aegis of CSIR-Jigyasa program. Focused on "Waste to Wealth," the event showcased the institution's ongoing R&D activities on innovative waste management solutions through lectures and exhibitions. It was conducted by research scholars.
The cleanliness drive was carried out in residential colonies and hostel buildings on day 4 of Swachhata Pakhwada. The director, staff members, and research scholars participated in the cleanliness drive.
A painting exhibition was organized on two themes viz., Clean and Green India and Waste to Wealth in the institute on 7th May 2024. School children of the IHBT staff members and IHBT research scholars/project fellows participated in the event (40 no). The event was conducted by CSIR-IHBT, Palampur under the aegis of the CSIR-Jigyasa program.
As a part of Swachhata Pakdwada, a 'Nukkad Natak on Swachhata' was organized on May 8, 2024. In addition to the staff and scholars, family members of Institute's staff also attended the programme.
A slogan writing competition for spreading awareness on different aspects of cleanliness was organized on May 9, 2024. Staff members, research scholars, and staff wards participated in the event.
A signature campaign was launched on May 13, 2024 to abide by the cleaning statements for maintaining healthy and fresh environment in the campus.
A cleanliness drive was organized at the CSIR-IHBT guest house to spread awareness on different aspects of cleanliness on May 14, 2024. Staff member of the Institute participated in the event.
A cleanliness drive was organized at the CSIR-IHBT guest house to spread awareness on different aspects of cleanliness on May 14, 2024. Staff member of the Institute participated in the event.
The closing ceremony of Swachhata Pakhwada was held at CSIR-IHBT on May 15, 2024. The institute had been actively participating in Swachhata Pakhwada from May 1st to May 15th, 2024, engaging in a variety of activities including campus and residential area cleanliness drives, Nukkad natak, painting, and slogan writing competitions.
During the ceremony, Mr. Sanjeev Sharma, Senior Scientific Officer from the Pollution Control Board in Dharamsala, delivered a lecture on the rules and regulations regarding Waste Management. Dr. Sudesh Kumar Yadav, the Director of CSIR-IHBT, also addressed the audience, emphasizing the importance of individual responsibility in maintaining cleanliness in both our workplace and daily lives. The event was well-attended by the staff and research scholars of the institute
National Science Day Celebrations
closeसीएसआईआर-आईएचबीटी, पालमपुर में राष्ट्रीय विज्ञान दिवस समारोह का आयोजन
National Science Day Celebrations
सी.एस.आई.आर.-हिमालय जैवसंपदा प्रौद्योगिकी संस्थान, पालमपुर में 28 फरवरी को राष्ट्रीय विज्ञान दिवस मनाया गया। डा. चन्द्रशेखर वैंकटरमन द्वारा 28 फरवरी 1928 को ‘रमन प्रभाव’ की खोज के लिए उन्हें 1930 में भौतिकी में नोबल पुरस्कार प्रदान किया गया था। इस उपलक्ष में यह दिन पूरे देश में राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के रुप में मनाया जाता है। इस वर्ष का थीम “विकसित भारत के लिए स्वदेशी तकनीक” है।
इस अवसर पर मुख्य अतिथि प्रो. एस. के. शर्मा, मानद प्रोफेसर एवं पूर्व कुलपति, सीएसके हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय, पालमपुर ने राष्ट्रीय विज्ञान दिवस की शुभकामनाएं देते हुए संस्थान की शोध गतिविधियों, उद्यमिता विकास और ग्रामीण आर्थिकी के उन्नयन में महत्वपूर्ण भूमिका एवं योगदान के लिए संस्थान की सराहना की। अपने संबोधन में उन्होने कहा कि स्वदेशी तकनीक के द्वारा भारत ने विश्व पर अपनी छाप छोड़ी है। कोरोना महामारी की वैक्सीन और चंद्रयान मिशन इसके नवीनतम उदाहरण हैं। उन्होंने संस्थान के वैज्ञानिकों से आवाहन किया कि टीम भावना के माध्यम से जन समुदाय के उत्थान के लिए कार्य करें ताकि 2047 तक भारत एक विकसित देश हो।
प्रो. पूर्नानंद गुप्ताशर्मा, डीन फैक्लटी, राष्ट्रीय विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान, मोहाली ने राष्ट्रीय विज्ञान दिवस संभाषण दिया। अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि हमे पर्यावरण अनुकूल तकनीकों को बढ़ावा देना होगा। प्लास्टिक से हो रहे नुकसान पर उन्होने विशेष बल दिया। अपने संबोधन में उन्होने बहुत ही सरल शब्दों में बताया की कैसे प्लास्टिक का विघटन कर उसे पुनः उपयोगी बनाया जा सकता है। इस हेतु एंजाइम के प्रयोगों पर विशेष बल दिया तथा नवीनतम जानकारी साझा की।
संस्थान के निदेशक डा. सुदेश कुमार यादव ने स्वागत संबोधन में संस्थान की प्रमुख उपलब्धियों एवं गतिविधियों का विवरण प्रस्तुत करते हुए बताया कि संस्थान किस तरह ग्रामीण क्षेत्रों में विज्ञान, तकनीक और नवाचार के माध्यम से किसानों की आय बढ़ाने में सक्रिय भूमिका निभा रहा है ताकि देश आत्मनिर्भर हो सके। व्यवसायिक रूप से महत्वपूर्ण पौधों की रोपण सामग्री उपलब्ध कराने एवं ग्रामीणों के कौशल विकास में संस्थान निरंतर लगा है। प्रशिक्षण कार्यक्रमों के माध्यम से किसानों, बेरोजगार युवाओं, उद्यमियों में क्षमता निर्माण संस्थान का एक महत्वपूर्ण पक्ष रहा है।
इस अवसर पर एयरोडाइन इंडिया वेंचर प्रा. लि., नई दिल्ली के साथ ड्रोन तकनीक पर समझौता ज्ञापन एवं यूनिसेड रिसर्च कंनस्लटेंट प्रा. लि., कानपुर के साथ एनआरडीसी, नई दिल्ली के माध्यम से खाद्य प्रौद्योगिकी हस्तांतरण पर हस्ताक्षर किए गए।
राष्ट्रीय विज्ञान दिवस को जन दिवस के रूप में मनाया गया। इस अवसर पर जवाहर नवोदय विद्यालय, मण्डी के 40 छात्रों तथा 4 शिक्षकों ने जिज्ञासा कार्यक्रम के अंतर्गत संस्थान की शोध गतिविधियों को जाना। के. विक्रम बतरा राजकीय महाविद्यालय, पालमपुर के 95 छात्रों तथा शिक्षकों ने भी संस्थान का दौरा किया।
संस्थान के स्टाफ एवं शोध छात्रों, क्षेत्र के गणमान्य व्यक्तियों एवं मीडिया प्रतिनिधियों ने अपनी प्रतिभागिता से समारोह की शोभा बढ़ाई।
Tulip Garden
closeट्यूलिप गार्डन
Tulip garden
सी.एस.आई.आर.–आई.एच.बी.टी. पालमपुर द्वारा फ्लोरीकल्चर मिशन के अंतर्गत विकसित किए गए ट्यूलिप गार्डन को दिनांक 02-02-2024 को जनमानस के लिए संस्थान के निदेशक, डॉ सुदेश कुमार यादव द्वारा खोल दिया गया ।
ट्यूलिप एक कंदीय कर्तित फूल है जिसकी अंतर्राष्ट्रीय व घरेलू बाज़ार में काफी माँग है। दुनिया में कर्तित फूलों के व्यापार में यह तीसरे स्थान पर है। मिशन के अंतर्गत इसकी खेती को लोकप्रिय बनाने के लिए संस्थान दो वर्षों से इन सुंदर फूलों को अपने परिसर मे लगा रहा है। इस बार उद्यान में 6 विभिन्न रंगों की प्रजातियों के 50,000 बल्ब्स लगाए गए हैं ।इस उद्यान में, राज्य के भीतर और बाहर से, बड़ी संख्या में आगंतुकों के आने का अनुमान है । पिछले वर्ष, देश के विभिन्न क्षेत्रों से 70,000 से अधिक पर्यटक इस सुंदर ट्यूलिप गार्डन को देखने आए थे। इस वर्ष गार्डन खोले जाने के प्रथम दिन ही केंद्रीय विद्यालय, भानला (हि प्र ) के लगभग 200 विद्यार्थियों व अध्यापकों ने जिज्ञासा प्रोग्राम के अंतर्गत इसका भ्रमण किया।
सीएसआईआर-आईएचबीटी ने ट्यूलिप की व्यावसायिक खेती के लिए हिमाचल प्रदेश की लाहौल घाटी में इसके फूल और बल्ब उत्पादन पर प्रायोगिक परीक्षण शुरू किया था। शुरुआत करने के लिए सहकारी समितियों के कई किसानो को शामिल किया गया l इनमें महादेव फ्लोरीकल्चर सोसाइटी, मदाग्रां; पट्टन वैली फ्लोरीकल्चर सोसाइटी लिमिटेड; शांशा और टीनन व्हाइट माउंटेन फ्लोरीकल्चर सोसाइटी लिमिटेड, जाँगला को ट्यूलिप की खेती करने के लिए प्रशिक्षित और सशक्त बनाया गया, जो अब बल्ब और फूलों के उत्पादन के लिए ट्यूलिप की खेती कर रहे हैं।
इन फूलों की खेती से जुड़े उद्यमियों और किसानों के लिए आकर्षक आय सृजन एवं देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए यह एक सशक्त प्रयास है और अगले 7-8 वर्षों में देश की वार्षिक घरेलू मांग को पूरा करने के लिए ट्यूलिप बल्ब-उत्पादन करने का संस्थान का ध्धेय है।
Developed under the CSIR-Floriculture Mission, the mesmerizing Tulip garden at CSIR-IHBT has been opened for public on 02-02-2024 by Dr. Sudesh Kumar Yadav, Director, CSIR-IHBT, Palampur.
Tulip is a tuberous cut flower that has huge International and domestic demand. It ranks third in the world's top cut flower trade. Under the mission, the institute has been planting these beautiful flowers in its premises for the last two years. This year 50,000 tulip bulbs of 6 varieties of various vibrant colors have been planted in the garden. The garden, after its opening, is expected to attract a large number of visitors from within and outside the state thereby promoting scientific tourism. Last year, over 70,000 visitors from across the country visited this exquisite tulip garden. This time, far more number of visitors are anticipated. On the opening day itself, under the Jigyasa programme more than 200 students and 12 teachers from Kendriya Vidyalaya, Bhanala (HP) visited the garden. It is pertinent to mention that this garden is the first tulip garden of the state.
CSIR-IHBT started experimental trials on flower and bulb production of tulip in the Lahaul valley of Himachal Pradesh for its commercial cultivation. To begin with, several farmers from cooperative societies such as Yaani Mahadev Floriculture Society, Madagran; Pattan Valley Floriculture Society Limited, Shansha; and Tinan White Mountain Floriculture Society Limited, Jangla, were trained and empowered to cultivate tulips. They are now engaged in tulip cultivation for bulb and flower production, and are reaping benefits.
The Institute is making a significant endeavour to offer new opportunities for attractive income generation to entrepreneurs and farmers engaged in the cultivation of these flowers and to make India self-reliant in tulip bulb production to meet the domestic demand of the country. The institute aims to produce tulip bulbs to meet the annual domestic demand of the country for the next 7-8 years and make India self-reliant in this aspect.
Stakeholders Meet on Food Processing and Value Addition and Inauguration of Food Processing Facility
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Stakeholders Meet on Food Processing and Value Addition and Inauguration of Food Processing Facility
closeखाद्य प्रसंस्करण और मूल्य संवर्धन पर हितधारकों की बैठक और खाद्य प्रसंस्करण सुविधा का उद्घाटन
Stakeholders Meet on Food Processing and Value Addition and Inauguration of Food Processing Facility
सीएसआईआर-आईएचबीटी में शुक्रवार, 29 दिसंबर, 2023 को संस्थान में खाद्य प्रसंस्करण और मूल्य संवर्धन पर एक हितधारक बैठक का आयोजन किया गया। यह आयोजन पश्चिमी हिमालय क्षेत्र के खाद्य प्रसंस्करण उद्योग के परिवर्तन के लिए एक बहु-हितधारक सहयोग है। खाद्य प्रसंस्करण उद्योग के मानकों और स्थिरता में सुधार के लिए महत्वपूर्ण आवश्यकताओं पर विचार-विमर्श करने के लिए शिक्षा, उद्योग और एफ.एस.एस.ए.आई. जैसे नियामक निकायों के विशेषज्ञों को आमंत्रित किया गया था । खाद्य प्रसंस्करण के क्षेत्र में स्टार्टअप और उभरते उद्यमियों के सामने आने वाली चुनौतियों पर प्रकाश डालने और चर्चा करने के लिए हितधारकों की बैठक के दौरान एक विशेषज्ञ पैनल चर्चा का आयोजन किया गया। इस कार्यक्र्म की अध्यक्षता सीएसआईआर-आईएचबीटी के निदेशक डॉ. सुदेश कुमार यादव ने की, इस दौरान श्री सौरभ जस्सल, आई.ए.एस., अतिरिक्त उपायुक्त, जिला. कांगड़ा इस पैनल चर्चा के लिए विशेष अतिथि भी मौजूद रहे । सीएसआईआर-आईएचबीटी में शामिल स्टार्टअप्स ने हितधारकों की बैठक के दौरान अपने उत्पादों और प्रौद्योगिकियों का भी प्रदर्शन किया। डॉ. यादव ने संस्थान में अब तक निष्पादित खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र से संबंधित गतिविधियों पर प्रकाश डाला और बताया कि खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र को बढ़ाने की दिशा में कई नए मिशन मोड और प्रौद्योगिकी परियोजनाएं शुरू की जा रही हैं। डॉ. रश्मि शर्मा (SHRI, DST) एंव डॉ. स्वीटी बहेरा (FSSAI) ने भी अपने सभाष्णों में खाद्य प्रसंस्करण और मूल्य संवर्धन के महत्व पर बल दिया ।
इस कार्यक्रम के दौरान भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव, प्रोफेसर अभय करंदीकर द्वारा संस्थान में एक नई आधुनिक खाद्य प्रसंस्करण सुविधा का उद्घाटन किया गया। जिसमे विभिन्न जैव संसाधन जैसे कि फल, सब्जियां, मशरूम, औषधीय पौधे इत्यादि के निर्जलीकरण ; फोर्टिफाइड स्नैक्स व तैयार होने वाले खाद्य पदार्थों जैसे पास्ता, नूडल्स और एनर्जी बार उत्पादन हेतु उपकरण और साथ ही 200 किलोग्राम प्रतिदिन उत्पादक क्षमता वाले मल्टीग्रेन आधारित तत्काल खाद्य पदार्थों व प्रीमिक्स उपकरण सम्मलित हैं। अपने संबोधन में प्रो. करंदीकर ने सीएसआईआर-आईएचबीटी द्वारा किए जा रहे विभिन्न अनुसंधान एवं विकास कार्यक्रमों और प्रौद्योगिकी व्यावसायीकरण गतिविधियों की सराहना की। उन्होंने खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र की गुणवत्ता मानकों और स्थिरता में सुधार के लिए वैज्ञानिक और तकनीकी हस्तक्षेप की आवश्यकता पर जोर दिया।
डॉ. यादव ने इस सुविधा को स्थानीय किसान उपज संगठनों (एफपीओ) और स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी), स्टार्टअप और सूक्ष्म उद्यमों जैसे विभिन्न हितधारकों को समर्पित किया, और बताया कि कैसे यह सुविधा छोटे उद्योगों और स्थानीय खाद्य उद्योगों को बढ़ावा देगी। इस अवसर पर एक पुस्तक “ हिमाचल प्रदेश के पारंपरिक व्यंजन” का भी विमोचन किया गया। इसके अलावा संस्थान ने हिमाचल प्रदेश के मिलेट मैन नाम से मशहूर पदम श्री नेक राम शर्मा को सम्मानित किया गया जिन्होने "नौ अनाज" खेती प्रणाली को बढ़ावा देने व पारंपरिक किस्मों के पुनरुद्धार के क्षेत्र में उलेखनीय कार्य किया है ।
CSIR-IHBT organized a Stakeholders meet on Food Processing and Value addition on Friday, 29th of December, 2023 at the institute. The event is a multi-stakeholder collaboration for transformation of food processing industry of the Western Himalayas region. Experts from academia, industry and regulatory bodies such as FSSAI were invited to deliberate upon the important requirements for improving the standards and sustainability of the food processing industry. An expert panel discussion was held during the stakeholders meeting to highlight and discuss the challenges faced by startups and budding entrepreneurs in food processing sector. Sh. Saurabh Jassal, I.A.S., Addl. Deputy Commissioner, Distt. Kangra was special invitee for the panel discussion and the event was presided by Dr. Sudesh Kumar Yadav, Director, CSIR-IHBT. Startups incubated at CSIR-IHBT displayed their products and technologies during the stakeholders meeting. Dr. Sudesh Kumar Yadav highlighted the food processing sector related activities executed at the institute so far and informed that several new mission mode and technology projects are being taken up towards augmenting the food processing sector. Dr. Rashmi Sharma (SHRI, DST) and Dr. Sweety Behera (FSSAI) also highlighted the importance of food processing, standardization, food safety, value addition, and setting up technology business incubator centre on the campus.
As part of the program, a new Food Processing Facility was inaugurated at the institute by Prof. Abhay Karandikar, Secretary, Department of Science and Technology, Govt. of India. The state-of-the-art facility contains equipment and machinery for (i) dehydration of bioresources such as fruits, vegetables, mushroom, medicinal plants (ii) production of fortified snacks and ready to cook foods such as pasta, noodles and energy bars, and (iii) production of multigrain based instant foods and premixes with an output of 200 kg per day. In his address, Prof. Karandikar appreciated the various R&D programs and technology commercialization activities being taken up by CSIR-IHBT. He emphasized the need for scientific and technological interventions in improving the quality standards and sustainability of food processing sector.
Dr. Sudesh Kumar Yadav dedicated the facility to various stakeholders such as local farmer produce organizations (FPOs) and self-help groups (SHGs), startups and microenterprises and informed that the facility would enhance the processing capabilities of small industries and augment the local food industry ecosystem.
On the occasion a book on “Ethnic Cuisines of Himachal Pradesh” was also released.
Further the institute honoured the millet man of Himachal Pradesh Padmashri Nek Ram Sharma for his outstanding contributions in promoting “Nau-Anaj” system of cultivation and revival of traditional millet varieties.
CSIR Foundation Day Celebrations
closeसीएसआईआर-आईएचबीटी में 82वें सीएसआईआर स्थापना दिवस समारोह का आयोजन
82nd CSIR Foundation Day Celebrations
सीएसआईआर-हिमालय जैवसंपदा प्रौद्योगिकी संस्थान, पालमपुर में वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद् (सी.एस.आई.आर.) का 82वां स्थापना दिवस समारोह दिनांक 6 नवम्बर 2023 को बडे़ हर्षोल्लास से मनाया गया। सन् 1942 में भारत की सबसे बड़ी परिषद, सीएसआईआर, की स्थापना हुई थी और इसे विभिन्न क्षेत्रों में अत्याधुनिक ज्ञान-विज्ञान के लिए विश्व भर में जाना जाता है। संपूर्ण भारत में अपनी 37 राष्ट्रीय प्रयोगशालाओं, 39 आउटरीच केंन्द्रो, एक नवाचार परिसर, एवं तीन यूनिट्स के माध्यम से सीएसआईआर राष्ट्र की सेवा में अपना योगदान दे रहा है।
समारोह के मुख्य अतिथि प्रो. पी. एल. गौतम, चांसलर, डा. राजेन्द्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, समस्तीपुर, बिहार ने सीएसआईआर को शुभकामनाएं देते हुए संस्थान की शोध गतिविधियों एवं ग्रामीण आर्थिकी के उन्नयन में महत्वपूर्ण भूमिका एवं योगदान के लिए संस्थान की सराहना की। अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि विज्ञान ने हमें आत्मनिर्भर बनाया है तथा इसका उपयोग मानव जाति के उत्थान के लिए होना चाहिए। विज्ञान का उदेश्य समस्याओं का हल करना है। उन्होंने संस्थान के वैज्ञानिकों से आहवान किया कि टीम भावना के माध्यम से जन समुदाय के उत्थान के लिए कार्य करें।
डॉ. अजीत कुमार शासनी, निदेशक, सीएसआईआर-राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान (एनबीआरआई) लखनऊ ने सीएसआईआर स्थापना दिवस संभाषण में विज्ञान के क्षेत्र में नित नए शोध के बारे में बताया। अपने संबोधन में उन्होंने कहा पादप संपदा में विविधता है। प्रत्येक पौधे में विविध गुण होते हैं जिनका उपयोग कई प्रकार की औषधियों तथा उत्पाद बनाने के लिए किया जाता है। इनका हमारे दैनिक जीवन में अत्याधिक महत्व है।
इससे पहले संस्थान के निदेशक डा. सुदेश कुमार यादव ने संस्थान तथा सीएसआईआर की प्रमुख वैज्ञानिक उपलब्धियों पर प्रकाश डाला। अपने संबोधन में उन्होंने बताया कि संस्थान के वैज्ञानिकों ने पुष्प एवं सगंध फसलों की कृषि तकनीक विकसित करके किसानों एवं उद्यमियों की आत्मनिर्भता की ओर कदम बढ़ाए हैं। सीएसआईआर-फ्लोरिकल्चर मिशन के अंतर्गत, पुष्प फसलों के क्षेत्र में 715 हेक्टेयर तक का विस्तार किया गया। अरोमा मिशन के अंतर्गत सगंध फसलें विशेषकर जंगली गेंदे को उगाने एवं प्रसंस्करण के लिए अलग-अलग राज्यों में आसवन इकाइयाँ स्थापित की गईं। उन्होंने आगे बताया कि विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी से देश को बहुत अधिक उम्मीद है। अतः हमारा दायित्व है कि राष्ट्र एवं विश्व की अपेक्षाओं को पूरा करने की दिशा में प्रयासरत रहें। उन्होने जैवआर्थिकी को बढावा देने में संस्थान का सामर्थ तथा नए अवसरों के बारे में विस्तार से बताया।
इस अवसर पर सीएसआईआर-आईएचबीटी में आयोजित विभिन्न प्रतियोगिताओं के लिए पुरस्कार वितरित किए गए तथा संस्थान से सेवानिवृत्त कर्मचारियों का अभिनंदन भी किया गया। साथ ही साथ संस्थान द्वारा विकसित प्रौद्योगिकियों को उद्यमियों को हस्तांतरित करने तथा शैक्षणिक तथा शोध कार्यो के लिए चितकारा विश्वविद्यालय तथा आईजीएफआरआई, झांसी के साथ समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर भी किए गए। तीन किसान समूहों को सगंध एवं पुष्प पादपों के कंद भी बाँटे गए।
इस दिवस को जन दिवस के रूप में मनाया गया जहां किसानो, उद्यमियों एवं केंद्रीय विद्यालय, नलेटी, देहरा के 146 छात्रों एवं उनके अध्यापकों ने संस्थान की वैज्ञानिक उपलब्धियों का प्रक्षेत्र एवं प्रयोगशालाओं में अवलोकन किया।
Celebration of World Food Day
closeसीएसआईआर-हिमालय जैवसंपदा प्रौद्योगिकी संस्थान में विश्व खाद्य दिवस समारोह का आयोजन
Celebration of World Food Day
सीएसआईआर-हिमालय जैवसंपदा प्रौद्योगिकी संस्थान (सीएसआईआर-आईएचबीटी) ,पालमपुर में 16 अक्टूबर 2023 को विश्व खाद्य दिवस समारोह का आयोजन किया गया।
इस अवसर पर समारोह के मुख्य अतिथि डॉ. विजय चौधरी, प्राचार्य एवं डीन, राजीव गांधी राजकीय स्नातकोत्तर आयुर्वेदिक महाविद्यालय, पपरोला ने "स्वास्थ्य और खुशहाली में भोजन का महत्व" विषय पर अपना व्याख्यान दिया। अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि आहार और विहार हमारे स्वास्थ्य पर विशेष प्रभाव डालते हैं, जीवनशैली में बदलाव हमारे खान पान पर भी देखा जा सकता है और इसका प्रभाव हमारे स्वास्थ्य पर पड़ रहा है। मिलेट्स और उसके गुणों पर भी डॉ. विजय चौधरी ने प्रकाश डाला।
समारोह के विशिष्ट अतिथि डॉ. निपुण जिंदल, आईएएस, उपायुक्त, कांगड़ा ने विश्व खाद्य दिवस पर अपने संबोधन में कहा कि खाद्य उपलब्धता एवं पोषण सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी) का अभिन्न अंग है। उन्होने मिड डे मील योजना और कुछ राज्यों में शुरू की गयी नाश्ता योजना का भी जिक्र किया। शोध और पॉलिसी के बीच एक समन्वय स्थापित करने की जरूरत पर बल देते हुए उपायुक्त ने पोषण मैत्री अभियान में संस्थान से प्राप्त सहयोग की सराहना की और भविष्य में इसे बढ़ाने का भी आवाहन किया। इस मौके पर उन्होने डॉ. एम एस स्वामीनाथन, भारत में हरित क्रांति के जनक, का उल्लेख करते हुए उनके कार्यो को भी साझा किया। अंत में “कोई भूखा न सोये” कहते हुए अपने संभाषण को सम्पन्न किया।
इससे पहले संस्थान के निदेशक डा. सुदेश कुमार यादव ने अतिथियों का स्वागत करते हुए डॉ. एम एस स्वामीनाथन की जीवनी पर प्रकाश डाला और उनके योगदान की चर्चा की। उन्होने बताया कि संस्थान खाद्य एवं पोषण विशेष तौर पर पारंपरिक भोजन एवं खाने योग्य पुष्पों पर शोध कर रहा है। निदेशक महोदय ने कहा कि खाद्य पदार्थों जैसे कांगड़ी धाम, आयुर्वेदिक खिचड़ी और शीरा जैसे उत्पादों की प्रक्रिया को मानकीकृत किया गया है। रेडी टू ईट बार को स्पिरूलिना का उपयोग करके आयरन और जिंक समृद्ध करने के लिऐ मूंगफली, तिल और अनाज मिलाकर विकसित किया गया है। इसी प्रकार रेडी टू ईट फ्रूट बार और कैंडी सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी को दूर करते हैं। इसी श्रंखला में प्रोटीन और फाइबर समृद्ध बार बनाई गई हैं।उन्होने यह भी बताया कि मल्टीग्रेन हाई प्रोटीन मिक्स उत्पाद को प्रोटीन और एनर्जी कुपोषण को दूर करने के लिए विकसित किया गया है।
हिमालय के शीत मरुस्थल में उगने वाले बक्कवीट, जो ग्लुटिन मुक्त खाद्य पदार्थ है, से संस्थान ने पफ नूडल्स, पास्ता और रेडी टू ईट मूल्य वर्धित उत्पाद विकसित किए हैं। ऐसे उत्पाद सीलिएक रोग से पीड़ित लोगों के लिए वरदान हैं।
इस अवसर पर तीन प्रौद्योगिकी हस्तांतरण, तीन समझौता ज्ञापन और एक गैर प्रकटीकरण करार पर भी हस्ताक्षर किए गए। उपरोक्त में प्रमुख थे डेक्कन हेल्थकेर लिमिटेड, हैदराबाद; तिरुपति मेडिकेयर लिमिटेड, सिरमौर; हर्बालाइफ लिमिटेड, बैंग्लोर और जिला ग्रामीण विकास एजेंसी (डीआरडीए), कांगड़ा (हि प्र)।
एसडीएम पालमपुर, वरिष्ठ राज्य प्रशासनिक अधिकारी, संस्थान के कर्मचारियों, छात्रों के साथ-साथ पालमपुर कृषि विश्वविद्यालय के आहार विज्ञान एवं पोषण विभाग के संकाय सदस्य तथा छात्र भी इस प्रोग्राम में शामिल हुए।
Symposium on “Role of Women Scientists in S&T-based Entrepreneurship Development"
closeSymposium on “Role of Women Scientists in S&T-based Entrepreneurship Development”.
The National Academy of Sciences India (NASI) & CSIR-Institute of Himalayan Bioresource Technology (CSIR-IHBT), Palampur is jointly organizing a two day symposium (18-19 Sep 2023) on “Role of Women Scientists in S&T-based Entrepreneurship Development”.
The genesis of the program was marked by an enlightening address by Dr. Manju Sharma, Chairman, NASI New Initiatives; Former Secretary, Department of Biotechnology, GOI and the President of NASI.
Dr. Rajesh Gokhale, Secretary, Department of Biotechnology, GOI delivered the inaugural address wherein he highlighted “Women for Wonders”. Thereafter, Dr. Rajendra Dobhal, Vice-Chancellor of Swami Rama Himalayan University, Dehradun, and former Director General of UCOST, Dehradun delivered key note address. He focussed on recent policy initiatives of the Government towards nurturing and promoting women in S&T-based entrepreneurship.
Prior to that Dr. Sudesh Kumar Yadav, Director CSIR-IHBT, welcomed all the guests and expressed his heartfelt gratitude for their distinguished presence. He apprised the guests about the Institute's technologies and the role of women entrepreneurs.
MoU was also signed for collaborative research work between CSIR-IHBT and SRHU on this occasion.
CSIR-IHBT
closeसीएसआईआर-आईएचबीटी
सीएसआईआर-हिमालय जैवसंपदा प्रौद्योगिकी संस्थान (सीएसआईआर-आईएचबीटी), पालमपुर ने 22 और 23 अगस्त 2023 को सीएसआईआर-फ्लोरीकल्चर मिशन-II के अंतर्गत हिमाचल प्रदेश, पंजाब और उत्तराखंड के 23 किसानों को 2.15 लाख गुलदाउदी की रोपण सामग्री वितरित की।
देश में फूलों की खेती के लिए गुणवत्ता युक्त रोपण सामग्री की अनुपलब्धता एक बड़ी बाधा है तथा इस समस्या को दूर करने के लिए सीएसआईआर-आईएचबीटी, फ्लोरीकल्चर मिशन चला रहा है जिसमे सीएसआईआर की प्रोद्योगिकियों का उपयोग कर उच्च मूल्य वाले पुष्पों की खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है । इसके माध्यम से किसानो की आय मे भी बढ़ोतरी हो रही है।
सीएसआईआर-आईएचबीटी देश मे फूलों की खेती के व्यवसाय को बढ़ावा देने हेतु सतत प्रयास कर रहा है। साथ ही, संस्थान के पास खुले और संरक्षित वातावरण में पौधों के गुणन और फूलों की खेती के लिए मानकीकृत प्रोद्योगिकियां उपलब्ध है।
इस अवसर पर सीएसआईआर-आईएचबीटी के निदेशक डॉ. सुदेश कुमार यादव ने बताया कि मिशन के अंतर्गत दी जाने वाली रोग मुक्त गुणवत्तायुक्त रोपण सामग्री किसानों की आय बढ़ाने में सहायक सिद्ध हो रही हैं।
सीएसआईआर-आईएचबीटी के मिशन नोडल अधिकारी डॉ. भव्य भार्गव ने कहा कि इस वर्ष संस्थान पांच राज्यों में 170 हेक्टेयर क्षेत्र को कवर करने हेतु गुणवत्तापूर्ण रोपण सामग्री प्रदान करेगा। विभिन्न राज्यों के लाभान्वित किसानों ने सीएसआईआर-फ्लोरीकल्चर मिशन और सीएसआईआर-आईएचबीटी को गुणवत्तायुक्त रोपण सामग्री उपलब्ध कराने के लिए अपना आभार व्यक्त किया।
CSIR-Institute of Himalayan Bioresource Technology (CSIR-IHBT), Palampur under CSIR Floriculture Mission-II distributed 2.15 lakh Chrysanthemum rooted cuttings to 23 farmers of Himachal Pradesh, Punjab and Uttarakhand on 22nd and 23rd August 2023.In India, non-availability of the quality planting material is a major hurdle in floriculture sector.
CSIR Floriculture Mission is a nation-wide program being implemented in 22 states with an aim to enhance the income of farmers and develop entrepreneurship through high value floriculture utilizing CSIR technologies.
The CSIR-IHBT has been active in boosting the nations's floriculture business. The institute has standardized technologies for plant multiplication and cultivation of floriculture crops in open as well as protected environments.
Dr Sudesh Kumar Yadav, Director, CSIR-IHBT said that the disease free quality planting material being distributed under the mission is helping in increasing the farmers’ income.
Dr. Bhavya Bhargava, Mission Nodal, CSIR-IHBT, told that this year the institute proposes to provide quality planting material for covering an area of 170 ha in five states. The benefited farmers from different states expressed their gratitude towards CSIR-Floriculture Mission and CSIR-IHBT for providing them the quality planting material.
PUSHP KRISHI MELA
closeपुष्प कृषि मेला
PUSHP KRISHI MELA
सीएसआईआर- हिमालय जैवसंपदा प्रौद्योगिकी संस्थान (सीएसआईआर-आईएचबीटी), पालमपुर ने 10 अगस्त 2023 को डीआईएचएआर, डीआरडीओ, लेह में “सीएसआईआर-फ्लोरीकल्चर मिशन II के अंतर्गत “पुष्प कृषि मेले” का आयोजन किया जिसके मुख्य अतिथि लद्दाख के माननीय उपराज्यपाल ब्रिगेडियर (डॉ.) बी.डी. मिश्रा (सेवानिवृत्त) थे। कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि एडोवैक्ट ताशी ग्यालसन, मुख्य कार्यकारी पार्षद (सीईसी), एलएएचडीसी, लेह, लद्दाख, श्री जामयांग त्सेरिंग नामग्याल, संसद सदस्य, लद्दाख, श्री रविंदर कुमार, आईएएस सचिव कृषि/बागवानी यूटी लद्दाख और डॉ. ओपी चौरसिया, निदेशक, डीआईएचएआर, डीआरडीओ ने भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराई।
माननीय उपराज्यपाल ने अपने संबोधन में लद्दाख घाटी में मिशन की उपलब्धियों की सराहना की। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि इस क्षेत्र में फूलों के उत्पादन की असीम संभावनाएँ है तथा “फूल उगाओ फूलों का विस्तार करो” का नारा भी दिया। साथ ही साथ उन्होने “महिलाएं, लद्दाख और फूलों” को भगवान की सर्वश्रेष्ठ रचना बताया ।
इसके अलावा, उन्होंने फूलों के उत्पादन, बे-मौसमी खेती, कोल्ड स्टोरेज और बेहतर परिवहन के माध्यम से फ्लोरीकल्चर को बढ़ावा देने हेतु विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने मुख्य कार्यकारी पार्षद, एलएएचडीसी, लेह से पूरे क्षेत्र में फूलों की खेती में लोगों की भागीदारी को प्रोत्साहित करने का आवाहन किया। इस अवसर पर उनके द्वारा 'लद्दाख में सीएसआईआर-फ्लोरीकल्चर मिशन' पर एक विवरणिका जारी की और किसानों को लिलियम, ग्लैडियस और ट्यूलिप की रोपण सामग्री वितरित की। उन्होंने लेह स्थित महिला स्वयं सहायता समूहों और राग्युल जैविक उत्पादक कंपनी के किसानों को प्रशंसा पत्र भी प्रदान किए।
माननीय उपराज्यपाल की उपस्थिति में, सीएसआईआर-आईएचबीटी ने लद्दाख प्रगतिशील सोसायटी, लेह और मेंडोक सहकारी सोसायटी, कारगिल के साथ एक सामग्री हस्तांतरण समझौते (एमटीए) पर हस्ताक्षर किए। एलएएचडीसी, लेह के मुख्य कार्यकारी पार्षद (सीईसी) एडवोकेट ताशी ग्यालसन ने किसानों से आत्मनिर्भर कृषि और उद्यमिता को बढ़ावा देने का आग्रह किया।
सीएसआईआर-आईएचबीटी, पालमपुर के निदेशक डॉ. सुदेश कुमार यादव ने लद्दाख में सीएसआईआर-फ्लोरीकल्चर मिशन की उपलब्धियों पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि मिशन के माध्यम से लिलियम, ग्लाडिओलस और ट्यूलिप जैसी फूलों की खेती लगभग 10 एकड़ भूमि पर की जा रही जिससे लेह और कारगिल के 80 किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार हुआ है।
उन्होंने लद्दाख में फूलों की खेती को बढ़ावा देने के लिए संस्थान की क्षमता और नए अवसरों के बारे में विस्तार से बताया। डॉ. यादव ने इस बात पर भी जोर दिया कि विदेशों से पुष्प आयात कम करने के लिए लद्दाख को बल्ब उत्पादन केंद्र के रूप में विकसित किया जा सकता है।
फूल उत्पादन, विपणन और फूलों की खेती से संबंधित गतिविधियों के बारे में जानने के लिए 100 से अधिक प्रदर्शक, उद्यमी और निर्माता सक्रिय रूप से इस कार्यक्रम में शामिल हुए। श्री पवन कोटवाल, उपराज्यपाल लद्दाख के सलाहकार, डॉ. महेंद्र दानोकर, मुख्य वैज्ञानिक टीएमडी, सीएसआईआर मुख्यालय, डॉ. एस.के. मेहता, वीसी यूनिवर्सिटी ऑफ लद्दाख, श्री मोसेस कुन्जांग, निदेशक, सहकारिता विभाग, श्री स्टेनजिंग चोस्फेल, कार्यकारी पार्षद कृषि, कार्यक्रम में कृषि विभाग के एसडीएओ श्री थिनलेस दावा और अन्य गणमान्य व्यक्तियों ने भी भाग लिया। इस कार्यक्रम में प्रेस और मीडिया के प्रतिनिधियों के साथ-साथ डीआरडीओ और सीएसआईआर-आईएचबीटी के कर्मचारी भी शामिल हुए।
CSIR-Institute of Himalayan Bioresource Technology (CSIR-IHBT), Palampur organised “PUSHP KRISHI MELA” under “CSIR-Floriculture Mission II” on 10th August 2023 at DIHAR, DRDO, Leh. The chief guest of the program was Hon’ble Lieutenant Governor of Ladakh, Brig. (Dr.) B.D. Mishra (Retd) along with Guests of Honour, Advocate Tashi Gyalson, Chief Executive Councillor (CEC), LAHDC, Leh, Shri Jamyang Tsering Namgyal, Member of Parliament, Ladakh, Shri Ravinder Kumar, IAS Secretary Agriculture/ Horticulture UT Ladakh and Dr. O.P Chaurasia, Director, DIHAR, DRDO.
Hon’ble Lt. Governor, in his address, appreciated the achievements of the mission in Ladakh valley. He also mentioned that flower production has a huge potential in the area and gave a slogan “Phool ugaao phoolo ka vistaar karo”. In addition, he stated: Women, Ladakh and Flowers are the best creations of the God. Furthermore, he added enhancing flower production through off season cultivation, cold storage and better transportation. He suggested Chief Executive Councillor, LAHDC, Leh to encourage People’s participation in floricultural activities throughout the region. On this event, Hon’ble Lt. Governor released a brochure on ‘CSIR-Floriculture Mission in Ladakh’ and distributed planting materials of Lilium, Gladious and Tulip to the farmers. He also presented certificates of appreciation to the farmers of the Leh-based women's self-help groups and the Ragyul organic producers company.
In the presence of Hon’ble Lt. Governor, CSIR-IHBT signed material transfer agreements (MTA) with Ladakh progressive society, Leh and Mendok Cooperative society, Kargil. Advocate Tashi Gyalson, CEC, LAHDC, Leh, urged the farmers for self-sustainable agriculture and entrepreneurship development in the region.
Dr. Sudesh Kumar Yadav, Director CSIR-IHBT, Palampur highlighted the achievements of CSIR-Floriculture Mission in Ladakh. He said that the mission has increased the area under floricultural crops like Lilium, Gladilous and Tulip to over 10 acres which has improved the socio-economic condition of 80 farmers in Leh and Kargil. Dr. Yadav elucidated about the institute’s potential and new opportunities in promoting floriculture in the UT. He also emphasized that Ladakh can be developed as a bulb production centre of the country to minimize import.
More than 100 exhibitors, entrepreneurs, and farmers actively engaged in floriculture related activities participated in the mela. Mr Pawan Kotwal, Advisor to Lt. Governor Ladakh, Dr. Mahender Danokar, Chief Scientist TMD, CSIR Headquarters, Dr S.K Mehta, VC University of Ladakh, Mr Moses Kunzang, Director, Department of Cooperatives, Shri Stenzing Chosphel, Executive councillor agriculture, Shri Thinless Dawa, SDAO department of agriculture and other dignitaries also participated in the program. Representatives from the press and media, as well as staff from the DRDO and CSIR-IHBT, attended the event.
CSIR-IHBT
closeसीएसआईआर-आईएचबीटी
जिला चंबा, भरमौर के सामरा घाटी में कुछ समय पहले तक किसान अपनी आमदनी व आजीविका के लिए बड़ी मेहनत व लागत से आलू, जौ, मक्की , गेहूँ इत्यादि फसल उगाते थे, परंतु जंगली जानवरों जैसे की बन्दर ,लंगूर, भालू, आवारा पशुओं के अत्यधिक अतिक्रमण के कारण किसानों को काफी परेशानियों व नुकसान का सामना करना पड़ता था। इस कारण किसानों ने फसल उगाना बंद कर दिया था तथा वहाँ से उनके प्रवासन के कारण भूमि बंजर हो गई थी। अब सीएसआईआर-आइएचबीटी, पालमपुर कि सकारात्मक पहल और आधुनिक दृष्टिकोण के तहत सीएसआईआर-अरोमा मिशन तृतीय चरण के अंतर्गत किसान लगभग 750 एकड़ भूमि मे सगंधित गेंदे की खेती कर रहे हैं।
किसान राजेश राणा जो की हिमाचल पुलिस सेवा से सेवानिवृत होने के पश्चात सीएसआईआर-आइएचबीटी, पालमपुर के संपर्क में आए। इसके उपरांत उन्होने अपने पैतृक गाँव खनोग, तहसील भरमौर, जिला चंबा में खाली पड़ी जमीन को गाँव के 50 अन्य किसानों के साथ मिलकर संस्थान द्वारा उपलब्ध करवाए गए सगंधित गेंदे की खेती आरंभ की। उन्होने बताया की सामरा घाटी में काफी कृषि योग्य भूमि जंगली जानवरों के आतंक के कारण खाली पड़ी है।
ड़ा राकेश कुमार, वरिष्ठ प्रधान विज्ञानी के अनुसार इस घाटी में सगंधित गेंदे के इलावा दमस्क रोज, मुश्कबाला, रोज़मेरी, क्लेरी सेज इत्यादि सगंधित फसलों की खेती की जा सकती है। इन फसलों को जंगली जानवर नुकसान भी नहीं पहुंचाते हैं तथा इन से प्राप्त सगंधित तेलों की अन्तर्राष्ट्रीय बाजार में अच्छी मांग रहती है। उन्होने बताया की संस्थान द्वारा अरोमा मिशन तृतीय चरण के अंतर्गत किसानों को सगंधित गेंदे की उन्नत किस्म “हिम स्वर्णिमा” के बीज मुफ्त उपलब्ध करवाए गए हैं हिम स्वर्णिमा किस्म को संस्थान के विज्ञानियों द्वारा विकसित किया है जिससे 180-230 क्विंटल बायोमास प्रति हैक्टर तथा उससे 36-45 किलो प्रति हैक्टर तेल प्राप्त किया जा सकता है। सगंधित गेंदे के तेल का बाजार भाव 12000- 15000 रूपये प्रति किलोग्राम है। किसान 5-6 माह में 1.25 से 1.5 लाख रूपये प्रति हैक्टर तक शुद्ध लाभ अर्जित कर सकते हें। सगंधित गेंदा पहाड़ी किसानों की आजीविका मे सुधार ला सकता है इसलिए जंगली गेंदा की खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है।
डॉ. सुदेश कुमार यादव, निदेशक, सीएसआईआर-आइएचबीटी, पालमपुर ने बताया की अरोमा मिशन तृतीय चरण के अंतर्गत संस्थान द्वारा सगंधित फसलों को बढ़ावा देने हेतु समय समय पर किसानों को उन्नत बीज उपलब्ध करवाए जा रहें हैं। किसानों को सगंधित फसलों की कृषि तकनीक बताई जा रही है तथा किसान समूहों के लिए प्रसंस्करण इकाइयां भी स्थापित की जा रही हैं। संस्थान द्वारा अरोमा मिशन के तहत जिला चंबा में 13 प्रसंस्करण इकाइयां स्थापित की गई हैं जिनका उपयोग कर किसान अधिक से अधिक लाभान्वित हो सकते हैं।
CSIR-IHBT organizes CSIR Azadi Ka Amrit Mahotsav - IP Campaign
closeCSIR-IHBT organizes CSIR Azadi Ka Amrit Mahotsav - IP Campaign
July 21-28, 2023
As part of the "Azadi Ka Amrit Mahotsav - Rashtriya Boudhik Sampada Mahotsav/National Intellectual Property Festival", Dr. T Pavan Kumar, Senior Scientist, CSIR-IMMT, Bhubaneswar delivered a lecture on “The IP Spectrum - An Overview” on 21st July, 2023. The program was attended by students, scholars and trainees. CSIR-IHBT scientists and technical staff attended the event online as well.
CSIR-IHBT celebrated its 41st Foundation Day
closeसीएसआईआर-आईएचबीटी ने मनाया अपना 41वां स्थापना दिवस
CSIR-IHBT celebrated its 41st Foundation Day
सीएसआईआर-हिमालय जैवसंपदा प्रौद्योगिकी संस्थान, पालमपुर ने 2 जुलाई 2023 को अपना 41वां स्थापना दिवस मनाया। समारोह के मुख्य अतिथि डा. परविन्दर कौशल, कुलपति, वीरचन्द्र सिंह गढ़वाली उत्तराखंड औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, भरसार, पौड़ी गढ़वाल, उत्तराखंड ने अपने संबोधन में सीएसआईआर-आईएचबीटी के स्थापना दिवस की शुभकामनाएं देते हुए संस्थान की उपलब्धियों की सराहना की। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय तथा संस्थान मिलकर पुष्पखेती, सगंध फसलों, औषधीय एवं औद्योगिक महत्व की फसलों पर मिलकर कार्य करेंगे। इस संबन्ध में आज एक समझौता भी किया गया।
इस अवसर पर डॉ. सी. आनंदरामकृष्णन, निदेशक,सीएसआईआर-राष्ट्रीय अंतर्विषयी विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी संस्थान, तिरुवनंतपुरम, केरल ने ‘सतत् भविष्य के लिए विज्ञान, प्रौद्योगिकी एवं नवोन्मेष“ विषय पर स्थापना दिवस संभाषण दिया। अपने संबोधन में उन्होने ऊर्जा, खाद्य एवं जल की उपयोगिता दर्शाते हुए इन क्षेत्रों में और अधिक ध्यान केंद्रित करने के लिए कहा। उन्होने, ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन, 2जी एथानॉल , खाद्य सुरक्षा, पोषण, एवं ग्राहक संतुष्टि का भी उल्लेख किया।
इससे पूर्व, सीएसआईआर-आईएचबीटी के निदेशक डा. सुदेश कुमार यादव ने संस्थान की वर्ष 2022-23 की उपलब्धियों पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि सीएसआईआर-अरोमा मिशन के अंतर्गत सगंध फसलों की खेती का क्षेत्र 3000 हेक्टेयर तक बढ़ा दिया गया तथा किसानों के प्रक्षेत्रों में 17 अतिरिक्त आसवन इकाइयाँ (कुल 61 इकाइयाँ) स्थापित की गईं जिसके माध्यम से कृषक समूहों को सगंध तेल के उत्पादन में सशक्त बनाया गया। सीएसआईआर-फ्लोरीकल्चर मिशन में पुष्प खेती का क्षेत्र 250 हेक्टेयर तक विस्तारित किया गया जिससे 649 किसान लाभान्वित हुए। अपने संबोधन में उन्होंने आगे बताया कि विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी से देश को बहुतअधिक उम्मीद है। अतः हमारा दायित्व है कि राष्ट्र एवं विश्व की अपेक्षाओं को पूरा करने की दिशा में प्रयासरत रहें। उन्होने जैवआर्थिकी को बढावा देने में संस्थान का सामर्थ तथा नए अवसरों के बारे में विस्तार से बताया।
इस अवसर पर डा. परविन्दर कौशल, कुलपति ने संस्थान के वार्षिक प्रतिवेदन 2022-23 का भी विमोचन किया। समारोह के दौरान संस्थान ने नगर निगम, पालमपुर तथा दक्कन हेल्थकेयर के साथ समझौता ज्ञापनों पर भी हस्ताक्षर किए ।
इस समारोह में जिज्ञासा एवं विज्ञान ज्योति कार्यक्रम के अंतर्गत जवाहर नवोदय विद्यालय, पपरोला, केंद्रीय विद्यालय,अलहिलाल व सीनियर सैकेंडरी स्कूल, बैजनाथ के 50 छात्रों ने भाग लिया एवं प्रयोगशालाओं का भ्रमण किया।
समारोह में स्थानीय कृषि विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डा. एस. के. शर्मा, नगर निगम के आयुक्त श्री अशीष शर्मा ,मेयर श्रीमती पूनम तथा पालमपुर के गणमान्य लोगों ने प्रतिभागिता की। इसमें स्थानीय स्टाफ, छात्र, पूर्व कमर्चारी, उद्यमी एवं उत्पादक, तथा मीडिया के प्रतिनिधि भी शामिल हुए।
CSIR-Institute of Himalayan Bioresource Technology (CSIR-IHBT), Palampur celebrated its 41st Foundation Day on 2 July 2023. The chief guest of the function was Dr. Parvinder Kaushal, Vice Chancellor, Veer Chandra Singh Garhwali Uttarakhand University of Horticulture and Forestry, Bharsar, Pauri Garhwal, Uttarakhand. In his address, he appreciated the achievements of the institute while giving best wishes on the foundation day. He further said that the university and the CSIR-IHBT will work together on floriculture, aromatic crops, crops of medicinal and industrial importance. An agreement was also signed in this regard today.
Dr. C. Anandharamakrishnan, Director, CSIR-National Interdisciplinary Institute of Science and Technology, Thiruvananthapuram, Kerala was the key note speaker. He delivered a lecture on the subject "Science, Technology, and Innovation Development for a Sustainable Future". He urged the audience to focus on judicious use of energy, food, and water. He also highlighted the importance of green hydrogen production, 2G ethanol, future of food & nutrition, and customer satisfaction.
Earlier, Dr. Sudesh Kumar Yadav, Director, CSIR-IHBT highlighted the achievements of the institute for the year 2022-23. He said that under the CSIR-Aroma Mission, the area under cultivation of aromatic crops has been increased to 3000 hectares and 17 additional distillation units (total 61 units) have been set up in the farmers' fields, through which farmers' groups have been empowered in the production of aromatic oil. In CSIR-Floriculture Mission, the area under floriculture was expanded to 250 hectares benefitting 649 farmers. In his address, he further emphasized that the country has a lot of hope from science and technology. Therefore, it is our responsibility to keep striving towards fulfilling the expectations of the nation and the world. He explained in detail about the institute's potential and new opportunities in promoting bioeconomy.
On this occasion Dr. Parvinder Kaushal also released the Annual Report 2022-23 of the CSIR-IHBT. The institute also signed MoUs with Municipal Corporation, Palampur, Deccan Healthcare, Veer Chandra Singh Garhwali Uttarakhand University of Horticulture and Forestry, Bharsar, Pauri Garhwal, Uttarakhand.
Additionally, 50 students of Jawahar Navodaya Vidyalaya, Paprola, Kendriya Vidyalaya, Alhalal and Senior Secondary School, Baijnath also participated and visited the laboratories under the program of Jigyaasa and Vigyaan Jyoti.
Dr. S.K. Sharma, former Vice-Chancellor of CSK Agricultural University Palampur, Mr. Ashish Sharma Municipal Corporation Commissioner, Mrs. Poonam Bali Mayor and other dignitaries of Palampur also participated in the programme. Staff, students, and former employees of the CSIR-IHBT along with entrepreneurs and representatives of the press and media attended the function.
Dr. Sudesh Kumar Yadav assumed charge of Director, CSIR-IHBT
closeडा. सुदेश कुमार यादव ने संभाला सीएसआईआर-आईएचबीटी पालमपुर के निदेशक का पद
डा. सुदेश कुमार यादव ने दिनांक 9 जून 2023 को सीएसआईआर-आईएचबीटी पालमपुर के निदेशक का कार्यभार संभाल लिया। सीएसआईआर-आईएचबीटी वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद का हिमाचल प्रदेश स्थित देश का एक अग्रणी अनुसंधान एवं विकास संस्थान है। डा. प्रबोध कुमार त्रिवेदी, निदेशक,सीमैप एवं अतिरिक्त प्रभार, सीएसआईआर-आईएचबीटी ने डा. सुदेश कुमार यादव को कार्यभार सौंपा।
इससे पूर्व, डा. सुदेश मोहाली स्थित जैवप्रौद्योगिकी विभाग,भारत सरकार के संस्थान ‘नवोन्मेषी एवं अनुप्रयुक्त जैव प्रसंस्करण केंद्र’ (सीआईएबी) में वैज्ञानिक-जी के पद पर कार्यरत थे तथा 2004 से 2016 तक उन्होने सीएसआईआर-आईएचबीटी पालमपुर में प्रधान वैज्ञानिक के रूप में कार्य किआ था। विज्ञान, शोध एवं सामाजिक विकास के क्षेत्र में उनका 20 वर्ष का अनुभव है। उनके 185 से अधिक शोध पत्र उच्च स्तरीय अंतर्राष्ट्रीय जर्नल में प्रकाशित हो चुके है तथा उनके नाम पर 15 पेटेंट भी दर्ज हैं। अनेक शोधार्थियों ने उनके मार्गदर्शन में पीएच.डी. एवं एम.एससी. की है। वे राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी सहित कई संस्थायों के फेलो हैं तथा उन्हें सीएसआईआर युवा वैज्ञानिक सहित कई पुरस्कार भी मिल चुके हैं। पौधों की मेटाबोलिक इंजीनियरिंग और उच्च गुणवत्ता युक्त उत्पादों को विकसित करने सहित विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में उनका योगदान उल्लेखनीय है।
Inauguration of "One Week One Lab" program at CSIR-IHBT
closeसीएसआईआर-आईएचबीटी में "एक सप्ताह - एक प्रयोगशाला" कार्यक्रम का उद्घाटन
Inuaguration of "One Week One Lab" program at CSIR-IHBT
प्रदेश में पहली बार मुलहठी की व्यवसायिक खेती का शुभारंभ
Commercial cultivation of liquorice (Mulethi) began for first time in Himachal
सीएसआईआर-आईएचबीटी, पालमपुर में 20-25 फरवरी, 2023 के दौरान "एक सप्ताह - एक प्रयोगशाला" का आयोजन किया जा रहा है। इस में संस्थान अपनी विकसित प्रौद्योगिकियों को जन सामान्य के लिए प्रदर्शित करेगा। इस अभियान की शुरुआत 6 जनवरी 2023 को डॉ. जितेंद्र सिंह, केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, पृथ्वी विज्ञान राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और पीएमओ, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्यमंत्री भारत सरकार द्वारा की गई थी। इस कार्यक्रम के माध्यम से सीएसआईआर के 37 प्रमुख संस्थान भारत में अपने यहाँ विकसित प्रौद्योगिकीय उपलब्धियों एवं नवाचारों द्वारा अर्जित सफलताओं का प्रदर्शन कर रहे हैं।
कार्यक्रम का शुभारंभ श्री अशीष बुटेल, माननीय मुख्य संसदीय सचिव ने किया। अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि राज्य सरकार चुनौतियों को स्वीकार करते हुए उद्यमियों, स्टार्टअप, किसानों एवं जन सामान्य के आर्थिकी का सुदृढ़ करने की दिशा में अग्रसर है। इस क्षेत्र में उन्होनें सीएसआईआर-आईएचबीटी द्वारा किए गए महत्वपूर्ण कार्यों की सराहना की एवं भविष्य में भी संस्थान से योगदान के लिए आग्रह किया। श्री बुटेल जी ने राज्य में निवेश करने के लिए उद्यमियों और स्टार्टअप को भरोसा दिया कि हिमाचल सरकार इस तरह की उद्योगों को प्रोत्साहित करेगी, जिससे राज्य के लोगों के लिए आजीविका सृजन हो सके। उन्होंने आगे कहा कि पालमपुर के राज्य स्तरीय होली मेले में राज्य के नए स्टार्टअप एवं उद्यमियों को अपने उत्पादों को प्रदर्शित करने के लिए एक मंच प्रदान किया जाएगा।
इससे पूर्व संस्थान के निदेशक डा. संजय कुमार ने मुख्य अतिथि एवं आए हुए प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए "एक सप्ताह - एक प्रयोगशाला" कार्यक्रम के उदेश्य पर प्रकाश डाला। अपने संबोधन में उन्होंने बताया कि संस्थान के वैज्ञानिकों ने हींग, केसर, स्टीविया, लिलियम, दालचीनी जैसी फसलों की कृषि तकनीक विकसित करके किसानों एवं उद्यमियों की आत्मनिर्भता की ओर कदम बढ़ाए हैं। सगंध फसलें विशेषकर लेवेंडर और सुगन्धित गेंदे को उगाने एवं प्रसंस्करण के लिए अलग-अलग राज्यों में आसवन इकाइयाँ स्थापित की गईं।
इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि डा. गिरीश साहनी, भटनागर फेलो एवं पूर्व महानिदेशक,सीएआईआर ने इकोसिस्टम में बदलाव पर बल दिया ताकि प्रयोगशाला के अनुसंधान एवं प्रौद्योगिकी को उत्पादों के माध्यम से बाजार में उपलब्ध कराया जा सके। उन्होनें बताया कि प्रौद्योगिकी पार्कों की स्थापना से इन विकसित प्रौद्योगिकियों को प्रसारित किया जा सकता है।
आयोजन के विशिष्ट अतिथि, डा. एम. पी. गुप्ता, प्रबन्ध निदेशक,डक्कन हेल्थकेयर लि. हैदराबाद ने अपने संबोधन में कहा कि चुनौतियों से निकलकर ही सफलता प्राप्त होती है। भारत में अपार संभावनाएं हैं। भारत में विनियामक कानूनों, नीतियों की स्पष्टता, सरलता एवं सुधारों की आवश्यकता है ताकि उद्यमी अपने उत्पाद को जल्द से जल्द विकसित करके इसे बाजार तक पहुंचा सके।
माननीय मुख्य संसदीय सचिव कार्यक्रम में किसानों को प्रदेश में पहली बार मुलहठी की व्यवसायिक खेती करने के लिए रोपण सामग्री वितरित की। इस के अलावा राज्य के विभिन्न क्षेत्रों से आए किसानों एवं उद्यमियों को विभिन्न फसलों के बीज एवं रोपण सामग्री भी आबंटित की गई। स्टार्टअप पर एक पुस्तिका का विमोचन भी किया गया। इस अवसर पर संस्थान की प्रौद्योगिकियों के प्रसार के लिए समझौता ज्ञापन भी किए गए। इस अवसर पर माननीय मुख्य संसदीय सचिव ने संस्थान कि पादप संवर्धन इकाई एवं पुष्प प्रदर्शनी का उद्घाटन किया।
“One Week – One Laboratory” is being organized at CSIR-IHBT, Palampur from February 20-25, 2023 to showcase its technological breakthroughs to the general public. The campaign was launched on 6 January 2023 by Dr. Jitendra Singh, Union Minister of State (Independent Charge) Science & Technology, Earth Sciences, Prime Minister’s Office, Personnel, Public Grievances, Pensions, Atomic Energy and Space, Government of India. During this programme, 37 premier institutes of CSIR are showcasing the successes achieved by their technological achievements and innovations across India.
The program was inaugurated by Shri Ashish Butail, Hon'ble Chief Parliamentary Secretary, Government of Himachal Pradesh. In his address, he said that accepting the challenges, the state government is making sincere efforts to strengthen entrepreneurs, start-ups, farmers and general public. He appreciated the important work done by CSIR-IHBT in this field and urged the institute to contribute in future also. Shri Butail ji invited the industries to invest in the state and assured them of government support to generate livelihood for the people in the state. He further said that the State Level Holi Fair at Palampur would provide a platform to new start-ups and entrepreneurs to showcase their products.
Earlier, Dr. Sanjay Kumar, Director of the institute while welcoming the chief guest and the participants, threw light on the purpose of the "One Week - One Laboratory" program. In his address, he told that the scientists of the institute have significantly contributed towards self-reliance of farmers and entrepreneurs by developing agricultural techniques of crops like asafoetida, saffron, stevia, lilium, cinnamon. Distillation units were set up in different states to grow and process aromatic crops, especially lavender and aromatic marigold.
Speaking on the occasion, Dr. Girish Sahni, Bhatnagar Fellow and former Director General, CSIR emphasized on the need to change the ecosystem so that products based on technologies developed in the lab can reach to the market. He said that these developed technologies can be disseminated by setting up technology parks. The special guest, Dr. M. P. Gupta, Managing Director, Deccan Healthcare Ltd. Hyderabad also addressed the gathering and said that success is achieved only by overcoming challenges. He believes that there is an urgent need for clarity, simplicity, and regulatory policy reforms to help entrepreneurs.
Hon'ble Chief Parliamentary Secretary distributed planting material of ‘Mulethi’ (Glycyrrhiza glabra) to the farmers for commercial cultivation in the state for the first time. Apart from this, seeds and planting material of various crops were also distributed to farmers from different parts of the state. Beside releasing a booklet on start-ups, the Hon'ble Chief Parliamentary Secretary also inaugurated the Plant Tissue Culture Unit and Flower Show at the institute. MoUs were also signed on the occasion for dissemination of technologies developed at CSIR-IHBT.
Detailed Program Report (Day Wise)
CSIR-IHBT Commemorated the 81st Foundation Day of CSIR
closeसीएसआईआर-आईएचबीटी ने मनाया सीएसआईआर का स्थापना दिवस
CSIR-IHBT Commemorated the 81st Foundation Day of CSIR
वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर)-हिमालय जैवसंपदा प्रौद्योगिकी संस्थान (आईएचबीटी) पालमपुर ने सीएसआईआर का 81वां स्थापना दिवस समारोह दिनांक 15.11.2022 को बडे़ हर्षोल्लास से मनाया।
प्रोफेसर अनुपम वर्मा, पूर्व अध्यक्ष, वर्ल्ड सोसाइटी फॉर वायरोलॉजी, पूर्व आईसीएआर नेशनल प्रोफेसर, आईएनएसए एमेरिटस साइंटिस्ट, एडवांस्ड सेंटर फॉर प्लांट वायरोलॉजी, भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली इस अवसर पर मुख्य अतिथि रहे। उन्होंने अपने संबोधन में हिमालय में लोगों के जीवन में परिवर्तन लाने के लिए सीएसआईआर-आईएचबीटी के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने मानव जीवन में पौधों के महत्व और हिमालय की जैव विविधता और इसके निवासियों को प्रभावित करने वाले जलवायु परिवर्तन जैसी प्रमुख समस्याओं पर प्रकाश डाला। प्रो. वर्मा ने पालमपुर को 'ट्यूलिप सिटी' और लेह को 'लिलियम सिटी' बनाने के लिए संस्थान को बधाई दी। उन्होंने सगंध गेंदा तेल के उत्पादन के लिए हिमाचल को भारत का नंबर एक राज्य बनाने के साथ ही केसर, दालचीनी और हींग की शुरुआत के लिए भी संस्थान की प्रशंशा की। उन्होंने कहा कि सीएसआईआर-आईएचबीटी में पारंपरिक हिमालयी भोजन के संरक्षण और व्यावसायीकरण के लिए खाद्य प्रसंस्करण हब और एंजाइम उत्पादन के लिए एंजाइम बायोप्रोसेसिंग सुविधा की स्थापना इस पहाड़ी राज्य की अर्थव्यवस्था, उद्यमिता विकास एवं रोजगार सृजन करने में मत्वपूर्ण भूमिका निभाने में सक्षम सिद्ध होगी।
इस अवसर पर, पदमश्री प्रो. सुधीर के. सोपोरी, एस.ई.आर.बी विशिष्ट फेलो एवं वरिष्ठ एमेरिटस वैज्ञानिक, इंटरनेशनल सेंटर फॉर जेनेटिक्स इंजीनियरिंग एंड बायोटेक्नोलॉजी, नई दिल्ली ने ‘पौधों में "पौधों में धारणा, संचार और अनुकूलन" ’विषय पर स्थापना दिवस संभाषण दिया। अपने व्याख्यान में प्रो. सोपोरी ने प्रकाश, तापमान, स्पर्श, ध्वनि, विद्युत संकेत, सूखा, जल आदि के लिए पौधों में होने वाली प्रतिक्रिया पर प्रकाश डाला। उन्होंने संस्थान के वैज्ञानिकों और युवा विद्वानों को इन पौधों में विभिन्न पारिस्थितिक स्थितियों के तहत हो रही घटनाओं को समझने के लिए प्रोत्साहित किया, ताकि उनका बदलते परिवेश में भी विकास हो सके।
इससे पूर्व, डॉ. संजय कुमार, निदेशक, सीएसआईआर-आईएचबीटी ने अतिथियों का स्वागत किया और संस्थान की मुख्य गतिविधियों और उपलब्धियों का संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत किया। उन्होंने जन सामान्य के जीवन को बेहतर बनाने के लिए संस्थान द्वारा किए गए तकनीकी नवाचारों और सामाजिक योगदान के बारे में भी जानकारी दी।
इस आयोजन के दौरान संस्थान ने तीन उद्यमियों को संस्थान की प्रौद्योगिकियों को अपनाने के लिए सम्मानित किया। इसके अलावा सीएसआईआर स्थापना दिवस एवं सतर्कता जागरूकता सप्ताह के दौरान आयोजित विभिन्न प्रतियोगिताओं के विजेताओं को भी पुरस्कृत किया गया। इस अवसर पर गवर्नमेंट कॉलेज, धर्मशाला के कई छात्रों व शिक्षकों ने भी सीएसआईआर-आईएचबीटी का दौरा किया।
समारोह में क्षेत्र के गणमान्य व्यक्तियों, संस्थान के पूर्व कार्मिकों, सीएसआईआर-आईएचबीटी के स्टाफ, शोध छात्रों एवं मीडिया प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
Council of Scientific and Industrial Research (CSIR)-Institute of Himalayan Bioresource Technology (IHBT) Palampur celebrated 81st Foundation Day of CSIR on 15th November, 2022.
Prof. Anupam Varma, Former President, the World Society for Virology, Former ICAR National Professor, INSA Emeritus Scientist, Advanced Center for Plant Virology, Indian Agriculture Research Institute, New Delhi was the Chief Guest. Prof. Varma addressed the audience and appreciated the efforts of CSIR-IHBT in transforming the life of people in the Himalayas. He highlighted the importance of plants in human life and stressed on the major problems like climate change impacting the Himalayan biodiversity and its inhabitants. Prof. Varma congratulated the institute to make Palampur as ‘Tulip City’ and Leh as ‘Lillium City’. Besides making Himachal as the number one state of India for production of aromatic marigold oil, he also applauded the institute for introduction of Saffron, Cinnamon and Asfoteida. Prof. Varma said that the establishment of Enzyme Bioprocessing Facility for enzymes production and Food Processing Hub at CSIR-IHBT for preserving and commercializing traditional Himalayan food will promote entrepreneurship, generate employment and boost the economy of this hilly state.
On this occasion, Padam Shri Prof. Sudhir K. Sopory, SERB Distinguished Fellow and Senior Emeritus Scientist at International Center for Genetics Engineering and Biotechnology New Delhi delivered the CSIR Foundation Day lecture on “Perception, Communication and Adaptation in Plants”. In his lecture, Prof. Sopory elucidated on the response of plants to different stimuli like light, temperature, touch, sound, electric signal, draught, water etc. He encouraged the scientists and young scholars of the institute to understand these plant phenomena under different ecological conditions for their adaptation in changing environment.
Earlier, Dr. Sanjay Kumar, Director, CSIR-IHBT welcomed the guests and presented a brief description of the main activities and achievements of the Institute. He also informed the gathering about the technological innovations and societal contribution made by the institute to improve the life of common man.
During this event, IHBT honoured three entrepreneurs for adopting the technologies of the institute. In this program, the winners of various competitions held to celebrate CSIR Foundation day and Vigilance Awareness Week were also awarded. Several students of Government College, Dharamshala along with teachers visited CSIR-IHBT on this day.
Program was attended by distinguish personalities of the regions, faculty and students of various regional institutes including press and media friends, former scientists and staff of the institute.
Director General, CSIR and Secretary DSIR addressed CSIR-IHBT family
closeमहानिदेशक, सीएसआईआर का सीएसआईआर-आईएचबीटी में संबोधन
Director General, CSIR and Secretary DSIR addressed CSIR-IHBT family
डा. एन. कलैसेल्वी, महानिदेशक, सीएसआईआर ने सीएसआईआर-आईएचबीटी के वैज्ञानिकों, कार्मिकों एवं शोधार्थियों को दिनांक 30 अक्तूबर 2022 को संबोधित किया। उल्लेखनीय है कि डा. एन. कलैसेल्वी, सीएसआईआर के निदेशकों की दो दिवसीय सम्मेलन की अध्यक्षता करने के लिए सीएसआईआर-आईएचबीटी पालमपुर के दौरे पर आयी हुई हैं।
अपने संबोधन में डा. एन. कलैसेल्वी ने संस्थान द्वारा किए जा रहे शोध एवं विकास कार्यों की उपलब्धियों के लिए उनके समर्पण, ऊर्जा एवं लगन के लिए सभी स्टाफ सदस्यों की सराहना की। विज्ञान के हर क्षेत्र में संस्थान ने सराहनीय कार्य किया है। यह सब कुशल नेतृत्व एवं टीम भावना के माध्यम से साकार हुआ है। सीएसआईआर-आईएचबीटी एक ऐसा श्रेष्ठ संस्थान है जहां विज्ञान के संपूर्ण पैकेज के साथ प्रत्येक कार्य सुव्यवस्थित हैं।
उन्होंने आगे बताया कि विज्ञान के क्षेत्र में अपार संभावनाएं हैं और हम मूल्यवर्धन के माध्यम से देश की आर्थिकी को सुदृढ़ कर वैश्विक स्तर पर भारत को अग्रणी देशों की श्रेणी में ला सकते हैं। शोधार्थयों को प्रोस्ताहित करते हुए उन्होंने कहा कि 21वीं सदी भारत की है और कुशल नेतृत्व के माध्यम से हमें अपने सच्चे प्रयासों, आइडिया, सकारात्मक ऊर्जा के साथ देश को समर्थ, सक्षम एवं खुशहाल बनाने में अपना योगदान देना होगा।
इससे पूर्व संस्थान के निदेशक डा. संजय कुमार ने डा. एन. कलैसेल्वी, महानिदेशक, सीएसआईआर का स्वागत करते हुए सीएसआईआर को अग्रणी विज्ञान संस्था बनाने के लिए टीम सीएसआईआर-आईएचबीटी के पूर्ण सहयोग की प्रतिबद्धता दोहराई।
Dr. N. Kalaiselvi, honorable Director General, CSIR and Secretary DSIR addressed the scientists, staff, and researchers of CSIR-IHBT at its campus on 30 October 2022. It is noteworthy that DG CSIR was on a visit to the two-day CSIR Directors’ Conference 2022: CSIR for Society and Industry at CSIR-IHBT Palmapur. Dr. Sanjay Kumar, Director CSIR-IHBT, warmly welcomed Dr. N. Kalaiselvi and introduced the institute.
In her address, Dr. N. Kalaiselvi appreciated all the Scientists, research scholars and staff members of the institute for their dedication and energy towards research and development work. She also mentioned that IHBT has done commendable work in the field of startup, entrepreneurship and livelihood. CSIR-IHBT is one of the best institutes “where everything is in its place and there is a place for everything”. She further said that there is immense potential in the field of science, and we can strengthen the country's economy through value addition and bring India to the ranks of leading countries at the global level. Encouraging the researchers of the institute, she further said; the 21st century belongs to India and through efficient leadership, sincere efforts, ideas and positive energy we can make our country no. 1 in the world.
Dr. Sanjay Kumar assured that team CSIR-IHBT is committed to serve the society through relevant science and technology.
76th Independence Day celebrations at CSIR-IHBT
closeसीएसआईआर-आईएचबीटी में 76वां स्वतंत्रता दिवस समारोह
सीएसआईआर- हिमालय जैवसंपदा प्रौद्योगिकी संस्थान में 76वां स्वतंत्रता दिवस बड़े उत्साह और उल्लास के साथ मनाया गया। इस अवसर पर परिवार के सदस्यों सहित बच्चों ने भी हिस्सा लिया। संस्थान के निदेशक, डॉ संजय कुमार ने राष्ट्रीय ध्वजारोहण कर उपस्थित सभा को संबोधित किया। संस्थान के सेंटर फॉर हाई एल्टीट्यूड बायोलॉजी (सीईएचएबी), रिबलिंग (केलांग, लाहौल) में भी राष्ट्रीय ध्वज फहराया गया । सीईएचएबी में यह समारोह वैज्ञानिकों और कर्मचारियों की उपस्थिति में किया गया जिसका प्रसारण आईएचबीटी में एमएस टीम्स द्वारा किया गया । इस शुभ अवसर पर स्टाफ क्लब की “मंथन” पत्रिका के नए अंक का विमोचन भी हुआ। ततपश्चात निदेशक महोदय एवं स्टाफ सदस्यों द्वारा संस्थान परिसर में फ्लेम ट्री (ड्लोनिक्स रेजिया (हुक.) राफ.), प्लुमेरिया (प्लुमेरिया अल्बा एल.) और कपूर (सिनामोमम कपूर एल.) के 75 पौधों का पौधारोपण किया गया। चयनित पौधों की प्रजातियों का रंग, फ्लेम ट्री के लिए केसरिया, प्लुमेरिया के लिए सफेद और कपूर के लिए हरा, राष्ट्रीय ध्वज के प्रतीक के रूप में स्वतंत्रता के 75 वर्ष, "आजादी का अमृत महोत्सव को मानाने के उद्देशय से किया गया। इस अवसर पर संस्थान के निदेशक ने संस्थान में आयोजित विभिन्न खेल गतिविधियों के लिए पुरस्कार वितरित किए। इस दिन के लिए आयोजित विभिन्न मनोरंजक और खेल गतिविधियों में कर्मचारियों और बच्चों ने भाग लिया।
CSIR- Institute of Himalayan Bioresource Technology celebrated the 76th Independence Day with great enthusiasm and gaiety. Family members, including children, were present during the function. Dr Sanjay Kumar, Director of the institute, hoisted the national flag and addressed the gathering. The national flag was also hoisted at the institute’s Centre for High Altitude Biology (CeHAB) at Ribling (Keylong, Lahaul); the ceremony was held in the presence of scientists and staff at CeHAB and was witnessed at CSIR-IHBT through MS Teams. On this auspicious occasion, a new issue of "Manthan" magazine of Staff Club was released.
To commemorate 75 years of Independence, “Azadi Ka Amrit Mahotsav”, the Director and staff members planted 75 saplings of flame tree (Dlonix regia (Hook.) Raf.), plumeria (Plumeria alba L.) and camphor (Cinnamomum camphora L.) in the institute premises. The colour of selected plant species, saffron for flame tree, white for plumeria and green for camphor symbolises the tricolour of the national flag.
On this occasion, prizes were distributed for different sports activities held in the institute. The staff and the children participated in different fun and sports activities organised for this day.
CSIR-IHBT celebrated its 40th Foundation Day
closeसीएसआईआर-आईएचबीटी ने मनाया अपना 40वां स्थापना दिवस
CSIR-IHBT celebrated its 40th Foundation Day
सीएसआईआर-हिमालय जैवसंपदा प्रौद्योगिकी संस्थान, पालमपुर, हिमाचल प्रदेश ने 02 जुलाई 2022 को अपना 40वां स्थापना दिवस मनाया। कार्यक्रम की शुरुआत में संस्थान के निदेशक डॉ. संजय कुमार ने मुख्य अतिथि पद्म श्री, पद्म-विभूषण एवं शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार से सम्मानित डा. टी. रामास्वामी, पूर्व सचिव, विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग, भारत सरकार एवं डिस्टिग्विश्ड प्रोफेसर ऑफ ऐमिनेंस, अन्ना विश्वविद्यालय, चेन्नई का अभिनन्दन एवं स्वागत करते हुये उनका संक्षिप्त परिचय दिया।
इस अवसर पर डा. टी. रामास्वामी ने ‘हिमालयी जैवमंडल के संपोषणीय जैव-आर्थिकी पथ की ओर: आईएचबीटी पथ अन्वेषक के रूप में’ विषय पर स्थापना दिवस संभाषण दिया। सीएसआईआर-आईएचबीटी संस्थान के स्थापना दिवस की शुभकामनाएं देते हुए उन्होंने इस संस्थान के नामकरण एवं उदेश्यों के बारे में बताया कि यह संस्थान समाजिक, पर्यावरणीय, औद्योगिक और अकादमिक लाभ हेतु हिमालयी जैवसंपदा से प्रक्रमों, उत्पादों और प्रौद्योगिकियों की खोज, नवोन्मेष, विकास एवं प्रसार के लक्ष्य के लिए सतत प्रयासरत है। अपने संबोधन में उन्होंने आगे बताया कि विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी से देश को बहुत अधिक उम्मीद है अतः हमारा दायित्व है कि राष्ट्र एवं विश्व की अपेक्षाओं को पूरा करने की दिशा में प्रयास करें। जैवआर्थिकी को बढावा देने में हमारी क्या ताकत है तथा इस क्षेत्र में क्या अवसर है, के बारे में विस्तार से बताया। पिछले 40 वर्षों में समाज की सेवा में सीएसआईआर-आईएचबीटी द्वारा किए गए योगदान को उजागर करने के अलावा, माननीय डॉ रामासामी ने संस्थान के लिए भविष्य के अनुसंधान और विकास पथ को भी चिह्नित किया। उन्होंने भारतीय हिमालय जीवमंडल के नाजुक पारिस्थितिकी तंत्र में उपलब्ध जैव संसाधनों के सतत उपयोग के माध्यम से तकनीकी समाधानों के आधार पर जैव अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए संस्थागत जनादेश को पुनर्स्थापित करने का सुझाव दिया। उन्होंने सतत विकास के लिए तीन स्तंभों यानी सहने योग्य, न्यायसंगत और व्यवहार्य पर जोर दिया। उन्होंने विज्ञान के क्षेत्र में नवोन्मेष, तथा जैवआर्थिकी उत्थान के लिए जैव आधारित उत्पादों के मूल्यवर्धन पर बल दिया तथा संस्थान से आह्वान किया कि वे भारतीय हिमालयी क्षेत्र की चुनौतियों को स्वीकरते हुए जैवआर्थिकी की दिशा में आगे बढ़ें। डा. रामास्वामी ने संस्थान की विभिन्न शोध गतिविधियों एवं सुविधाओं का अवलोकन भी किया। उनकी यात्रा के दौरान, सीएसआईआर-आईएचबीटी में समग्र सामाजिक लाभ के लिए विकसित विभिन्न किसानों और उद्योग केंद्रित प्रौद्योगिकियों को भी प्रदर्शित किया गया।
इससे पूर्व संस्थान के निदेशक डा. संजय कुमार ने संस्थान के वर्ष 2021-22 के वार्षिक प्रतिवेदन को प्रस्तुत किया। उन्होंने बताया कि अरोमा मिशन चरण- II के अन्तर्गत संस्थान ने 1398 हेक्टेयर क्षेत्र को सगंध फसलों अंतर्गत समाहित किया और बारह राज्यों और दो केंद्र शासित प्रदेशों में इसकी खेती का विस्तार किया। वर्ष के दौरान, हिमाचल प्रदेश ने 7.3 टन तेल के उत्पादन के साथ देश में सगंध गेंदे के तेल के शीर्ष उत्पादक के रूप में अपना स्थान बनाए रखा है। कुल मिलाकर, हमारे संस्थान से जुड़े किसानों द्वारा सगंध फसलों की खेती से लगभग ₹15.66 करोड़ मूल्य के सगंध तेल का उत्पादन किया गया। सीएसआईआर-फ्लोरिकल्चर मिशन के अंतर्गत, पुष्प फसलों के क्षेत्र में 350 हेक्टेयर तक का विस्तार किया गया, जिससे 1004 किसानों लाभान्वित हुए। संस्थान में इस वर्ष ट्यूलिप गार्डन एक मुख्य आकर्षण रहा। संस्थान के प्रयासों से भारत के कई राज्यों में 448 हेक्टेयर क्षेत्र को स्टीविया की खेती के अंतर्गत लाया गया। देश में हींग की खेती के लिए 214 स्थानों पर 4 हेक्टेयर क्षेत्र को खेती के अन्तर्गत लाते हुए 33000 पौधों की आपूर्ति की गई। हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के अलावा जम्मू-कश्मीर एवं लद्दाख में किसानों तक बेहतर पहुंच के लिए 519 किसानों और 53 कृषि अधिकारियों को प्रशिक्षण दिया गया। राज्य कृषि विभाग के सहयोग से प्रदेश में किसानों को 6859 किलो केसर के कंदों की आपूर्ति की गई ताकि केसर उत्पादन को बढ़ावा दिया जा सके। संस्थान द्वारा उत्तर पूर्वी राज्यों में सेब की कम-चिलिंग किस्मों का विस्तार लगभग 117.5 एकड़ क्षेत्र में किया गया। इन प्रयासों का उल्लेख भारत के माननीय प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा 25 जुलाई 2021 को ‘मन की बात’ कार्यक्रम में भी किया गया। एक नई पहल के अन्तर्गत, आईएचबीटी ने हिमाचल में दालचीनी की संगठित खेती की शुरुआत की। संस्थान में सीएसआईआर-टीकेडीएल प्वाइंट ऑफ प्रेजेंस की स्थापना की गई। जिसमें सोवा रिग्पा (तिब्बती चिकित्सा पद्धति) पर ध्यान केंद्रित किया गया है, जहां इसे प्रलेखित और डिजिटाइज़ किया जा रहा है। सीएसआईआर-उच्च तुंगता जीवविज्ञान केंद के प्रक्षेत्र जीनबैंक को 40 संकटग्रस्त पौधों की प्रजातियों से समृद्ध किया गया।
इस अवसर पर डा. टी. रामास्वामी ने संस्थान के वार्षिक प्रतिवेदन 2021-22 तथा ‘आईएचबीटी का इतिहास’ का विमोचन किया। इस अवसर पर कृषि, जैव,रसयान,आहारिकी एवं खाद्य तथा पर्यावरण प्रौद्यौगिकी के क्षेत्र में महत्वपूर्ण शोध उपलब्धियों के संग्रह भी विमोचित किए गए। साथ में तुलसी की खेती एवं कई अन्य प्रकाशनों का भी विमोचन किया गया। समारोह के दौरान हरियाणा केन्द्रीय विश्वविद्यालय, विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग, सिक्किम सरकार के अलावा 03 अन्य औद्योगिक इकाइयों के साथ समझौता ज्ञापनों पर भी हस्ताक्षर किए गए।
समारोह में स्थानीय कृषि विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डा. एस. के. शर्मा, चिन्मय तपोवन ट्रस्ट की निदेशक डा. क्षमा मैत्रे, आईवीआरआई, आईजीएफआरआई, पालमपुर विज्ञान केन्द्र, कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने प्रतिभागिता की। इस समारोह में जिज्ञासा कार्यक्रम के अंतर्गत केंद्रीय विद्यालय पालमपुर व न्यूगल पब्लिक सीनियर सैकेंडरी स्कूल बिंद्राबन (पालमपुर) के 70 छात्रों व 4 शिक्षकों नें भाग लिया एवं प्रयोगशालाओं का भ्रमण किया | सीएसआईआर-आईएचबीटी संस्थान के स्थापना दिवस में स्थानीय शैक्षणिक स्टाफ, पूर्व कर्मचारी, स्थानीय उद्यमी एवं उत्पादक एवं मीडिया के प्रतिनिधि भी शामिल हुए।
CSIR-Himalayan Institute of Bioresource Technology, Palampur, Himachal Pradesh celebrated its 40th Foundation Day on 02 July 2022. In the beginning, Dr. Sanjay Kumar, Director of the Institute, welcomed the Chief Guest Padma Shri, Padma Bhushan and Shanti Swarup Bhatnagar Awardee Dr. T. Ramasami, Former Secretary, Department of Science and Technology, Government of India and Distinguished Professor of Eminence, Technology Enabling Centre, Anna University, Chennai and gave a brief introduction about him to the audience.
On this occasion, Dr. T. Ramasami delivered a foundation day speech on “Towards Sustainable Bioeconomy Path of Himalayan Biosphere: IHBT as the Path Finder”. While greeting the staff of the Institute on the 40th foundation day, he said that CSIR-IHBT is located in a fragile ecosystem and is mandated to emerge as a global leader on technologies for boosting bioeconomy through sustainable utilization of Himalayan bioresources". Apart from highlighting the contribution made by CSIR-IHBT in the service of the society over the last 40 years, Dr. Ramasami also suggested to focus upon developing technological solutions for sustainable bioeconomy. He is of the opinion that CSIR-IHBT has to play a crucial role of serving the nation as a path finder towards sustainable economy using resources available in Himalayan biosphere. He emphasized on three pillars for sustainable development i.e. Bearable, Equitable and Viable. He stressed upon innovation in the field of science, and value addition of bio-based products for the economical upliftment and called upon the institute to accept the challenges of the fragile Indian Himalayan ecosystem. Dr. Ramasami also visited the research facilities, processing units and fields of the institute. During his visit, various farmers and industry centric technologies developed for the overall social benefit at CSIR-IHBT were also displayed.
Earlier, the director of the Institute, Dr. Sanjay Kumar presented the annual report of the Institute for the year 2021-22. He said that under Aroma Mission Phase-II, the Institute covered an area of 1398 hectares under aromatic crops and expanded its cultivation in twelve states and two union territories. During the year, Himachal Pradesh has maintained its position as the top producer of marigold oil in the country with a production of 7.3 tonnes of oil with institutional efforts. Under the Floriculture Mission, the area was expanded to 350 hectares, benefiting 1004 farmers. Tulip garden established in the Institute has been a major attraction this year. The area under stevia cultivation also extended to 448 hectares in India with concerted efforts of IHBT. For the cultivation of asafoetida in the country, 33000 saplings were supplied and brought 4 hectares under cultivation at 214 places. Apart from Himachal Pradesh and Uttarakhand, 519 farmers and 53 agriculture officers of Jammu & Kashmir and Ladakh were trained. With agriculture department, 6859 kg saffron tubers were supplied to the farmers in the state so that saffron production could be promoted. The area under low-chilling varieties of apples have been extended to about 117.5 acres in the North Eastern States. These efforts were also mentioned in the 'Mann Ki Baat' program on 25 July 2021 by Honourable Prime Minister, Shri Narendra Modi. In a new initiative, IHBT introduced organized cultivation of cinnamon in Himachal. Moreover, CSIR-TKDL Point of Presence has been established in the Institute with a focus to document and digitize Sowa Rigpa (Tibetan system of medicine). He informed that the farm gene bank at Centre of High Altitude Biology was also enriched with 40 threatened Himalayan plant species.
On this occasion, Dr. T. Ramasami released the Annual Report 2021-22 of the Institute and 'History of IHBT'. Along with cultivation manual on Tulsi, compendiums on significant research accomplishments in the fields of agriculture, biotechnology, natural plant products, dietetics & nutrition and environmental technology were also released. Besides 03 industrial units, MoUs with Haryana Central University, Department of Science and Technology, Government of Sikkim were also signed during the event.
Besides former Vice Chancellor of the Agricultural University, Dr. SK Sharma, Director of Chinmaya Tapovan Trust Dr. Kshama Maitre, scientists from IVRI, IGFRI, Palampur Science Centre, Agricultural University were also attended the program. A number of students and teachers from Kendriya Vidyalaya Palampur and Neugal Public Senior Secondary School, Bindraban (Palampur) participated under the Jigyasa program and visited laboratories. Local academic staff, ex-employees, local entrepreneurs and producers and media representatives also graced the foundation day event.
World Environment Day Celebrations at CSIR-IHBT
closeसीएसआईआर-आईएचबीटी में विश्व पर्यावरण दिवस समारोह
World Environment Day Celebrations at CSIR-IHBT
सीएसआईआर-हिमालय जैवसंपदा प्रौद्योगिकी संस्थान ने 6 जून 2022 को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया। विश्व पर्यावरण दिवस पर्यावरण की सुरक्षा और संरक्षण हेतु पूरे विश्व में मनाया जाता है। विश्व पर्यावरण दिवस प्रत्येक वर्ष 5 जून को मनाया जाता है पहली बार 1974 मे मनाया गया था।
संस्थान के निदेशक डा. संजय कुमार ने विश्व पर्यावरण दिवस पर प्रकाश डालते हुए बताया कि संस्थान समाजिक, पर्यावरणीय, औद्योगिक और अकादमिक लाभ हेतु हिमालयी जैवसंपदा से प्रक्रमों, उत्पादों और प्रौद्योगिकियों की खोज, नवोन्मेष, विकास एवं प्रसार के लक्ष्य के लिए सतत प्रयासरत है। संस्थान ने हिमालयी पर्यावरण के लाभों का दोहन करते हुए आजीविका और उत्पाद विकसित करने के लिए विशिष्ट उच्च मूल्यवान फसलों को प्रोत्साहित करने के लिए अनूठी/अभिनव पहल की है। हमारा संस्थान अपने शोध एवं विकास गतिविधियों के माध्यम से हिमालयी क्षेत्र के पर्यावरण संरक्षण में योगदान कर रहा है। संस्थान ने खेती, जीन बैंक के माध्यम से सिनोपोडोफिलम हेक्सेंड्रम, पिक्रोराइजा कुरोआ, फ्रिटिलारिया रॉयली और ट्रिलियम गोवेनियम जैसे दुर्लभ, लुप्तप्राय और संकटग्रस्त सहित प्रति इकाई भूमि क्षेत्र में उत्पादकता और लाभप्रदता बढ़ाने और दुर्लभ, लुप्तप्राय और संकटग्रस्त पौधों की स्थिति को बदलने के लिए उनकी कृषि प्रौद्योगिकियों के साथ-साथ विविधता सुधार, औषधीय पौधों की उपलब्धता के लिए पहल की है । पिक्रोराइजा कुरोआ और फ्रिटिलारिया रॉयली के उत्कृष्ट पौधों को टिशू कल्चर तकनीक के माध्यम से बहुगुणित किया गया और संस्थान ने उनको प्राकृतिक वास में भी लगाया गया है।
डॉ. एस एस सामंत, निदेशक, हिमालय वन अनुसंधान संस्थान (एचएफआरआई), शिमला ने "भारतीय हिमालयी क्षेत्र के संदर्भ में जैव विविधता संरक्षण और प्रबंधन" विषय पर व्याख्यान दिया। अपने संबोधन में डॉ. सामंत ने भारतीय वानिकी शिक्षा एवं अनुसंधान परिषद एवं इसके संस्थानों के कार्यकलापों के बारे में जानकारी दी। उन्होंने आगे बताया कि भारतीय हिमालयी क्षेत्र जैवविविधता, वनस्पति और जीवों से समृद्ध है। हिमालयी इकोसिस्टम का विकास समग्रता से ही किया जा सकता है। हिमालय की पादपसंपदा अत्यन्त विशेष है तथा जलवायु परिवर्तन का प्रभाव अब इस क्षेत्र में भी दिख रहा है जिससे वानस्पतिक और फसल पद्धति में परिवर्तन आया है। हिमालयी जैवसंपदा आर्थिक दृष्टि से अत्यन्त महत्वपूर्ण है अत: हमें इसके संरक्षण में अपनी सक्रिय योगदान करने की आवश्यकता है। उन्होने स्थान विशिष्ट खतरे द्वारा पौधों का वर्गीकरण तथा एवं पादपों के संरक्षण एवं प्रवर्धन हेतु फील्ड सर्वेक्षण से प्राप्त डाटा पर निर्भरता पे विशिस्ट ज़ोर दिया। अपने प्रस्तुतिकरण में उन्होंने हिमालय के क्षेत्रवार विशेषताओं, विविधता, संरक्षण, सामाजिक आर्थिक पहलुओं पर तथ्यात्मक विस्तृत जानकारी प्रदान की।
इस समारोह में, संस्थान के कर्मचारियों एवं छात्रों ने बढ-चढ कर भाग लिया। कार्यक्रम का समापन सीएसआईआर-आईएचबीटी के वरिष्ठ प्रधान वैज्ञानिक डॉ अमित कुमार के धन्यवाद प्रस्ताव के साथ हुआ।
CSIR-Himalayan Institute of Bioresource Technology celebrated World Environment Day on 6 June 2022. World Environment Day is celebrated all over the world to protect the environment. It is celebrated every year on 5th June, since 1974.
Dr. Sanjay Kumar, Director, CSIR-IHBT in his welcome address said that the Institute is constantly striving towards the goal of discovering, innovating, developing and disseminating processes, products and technologies from the Himalayan Bio-resources for social, environmental, industrial and academic benefits. The Institute has taken unique/innovative initiatives to encourage specific high value crops to develop livelihoods and products, while harnessing the benefit the of Himalayan environment. CSIR-IHBT is contributing to the environmental protection of the Himalayan region through its research and development activities. The institute has developed agrotechnologies for Rare and Threatened plant species such as Sinopodophyllum hexandrum, Picrorhiza kuroa, Fritillaria royalii and Trillium govanium to increase their productivity and profitability per unit land area. Efforts are also made to change their Rare and Threatened status through augmentation of natural habitat. High-valued plants of Picrorhiza kuroa and Fritillaria royali were multiplied through the tissue culture technique and the institute has also planted them in their natural habitat.
Dr. SS Samant, Director, Himalayan Forest Research Institute (HFRI), Shimla delivered a lecture on "Biodiversity Conservation and Management in context to Indian Himalayan Region". In his address, Dr. Samant gave information about the activities of the Indian Council of Forestry Research and Education and its institutions. He further added that the Indian Himalayan region is rich in biodiversity. The flora and fauna of the Himalayas are very special and the effect of climate change is now visible in this region as well, which has led to changes in botanical and cropping patterns. Himalayan biodiversity is very important from an economic point of view, therefore, sincere efforts are required for its conservation. He laid special emphasis on the classification of plants by location-specific threats and reliance on data received from field surveys for their conservation and management. In his presentation, he provided detailed information on the region-wise features, diversity, conservation, and socio-economic aspects of the Himalayas.
In this function, the staff and students of the institute enthusiastically participated. The program was coordinated by Dr R.K. Sud, Chief Scientist concluded with a vote of thanks by Dr. Amit Kumar, Senior Principal Scientist, CSIR-IHBT.
It is pertinent to mention that the World Environment Day is celebrated every year on June 5 all across the globe as an initiative of the United Nations Environment Programme (UNEP) to spread the importance of conserving planet Earth and to pledge to give back to the mother nature in all the possible ways to preserve, conserve and flourish all biological lives on the globe. The occasion calls for transformative changes to policies to enable cleaner, greener, and sustainable living in harmony with nature. It is in the year 1972, that for the first time in the world, a conference on the environment was held in Stockholm, which is known as United Nations Conference on the Human Environment (Stockholm Conference). This initiative led to the creation of United Nations Environment Programme and World Environment Day celebration.
The theme World Environment Day 2022 is “Only One Earth” which fundamentally focuses on our role as the citizens of the Earth, to protect the environment and to encourage sustainable living each time each day.
सीएसआईआर-आईएचबीटी में राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस समारोह
closeसीएसआईआर-आईएचबीटी में राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस समारोह
National Technology Day Celebrations at CSIR-IHBT
सीएसआईआर-हिमालय जैवसंपदा प्रौद्योगिकी संस्थान ने 11 मई 2022 को राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस मनाया। विज्ञान और प्रौद्योगिकी के साथ समाज और उद्योग के एकीकरण के लिए प्रौद्योगिक रचनात्मकता और वैज्ञानिक सशक्तिकरण की खोज के प्रतीक के रूप में राष्ट्र प्रत्येक वर्ष 11 मई को राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस मनाता है। यह दिवस 1998 में पोखरण में सफलतापूर्वक किए गये परमाणु परीक्षण तथा विश्व का छठा परमाणु देश बनने पर मनाया जाता है।
संस्थान के निदेशक डा. संजय कुमार ने छात्रों, अघ्यापकों और अन्य उपस्थित जन का स्वागत करते हुए प्रौद्योगिकी दिवस की शुभकामनाएं दी। अपने संबोधन में उन्होंने बताया कि कैसे डिजीटल प्रौद्योगिकी ने हमारे जीवन में परिवर्तन लाया है। इससे ज्ञान के प्रसार को गति मिली है। संस्थान अपने मिशन मोड परियोजनओं के माध्यम से समुदायों के समाजिक-आर्थिक विकास में अपना योगदान कर रहा है। अरोमा मिशन के अन्तर्गत संस्थान किसानों को सगंध फसलों को उगाने एवं इसके प्रसंस्करण द्वारा उनकी आय बढ़ाने में सक्रिय भूमिका निभा रहा है जिससे किसान परम्परागत फसलों की अपेक्षा अधिक आय प्राप्त करके आत्मनिर्भता की ओर बढ़ रहे हैं। अपने संबोधन में उन्होंने वैज्ञानिक अभिरुचि को बढ़ाने के लिए छात्रों का मार्गदर्शन किया। उन्होंने देश की महत्वपूर्ण प्रौद्योगिक उपलब्धियों तथा विभिन्न वैज्ञानिक उपलब्घियों पर चर्चा की जिसके कारण आज देश आत्मनिर्भर बना है।
समारोह के मुख्य अतिथि प्रो. पुलोक कुमार मुखर्जी, निदेशक, जैवसंसाधन एवं स्थायी विकास संस्थान (आईबीएसडी), इंफाल, मणिपुर ने ‘एथनोफार्माकोलोजीः परम्परा से परिवर्तन के लिए एकीकृत शास्त्र और विज्ञान’ विषय पर प्रौद्योगिकी दिवस संभाषण दिया। अपने संबोधन में डा. मुखर्जी ने स्वास्थ्य के क्षेत्र में पादप आधारित दवा के विकास में योगदान पर प्रकाश डाला। लोकशास्त्र परम्परा के अनुसार परम्परागत ज्ञान को सहेजने और इसका आधुनिक दवा क्षेत्र में उपयोग और प्रसार की आवश्यकता है। संपूर्ण हिमालयी क्षेत्र औषधीय पादप संपदा का स्रोत है। आवश्यकता इसके प्रलेखन की है ताकि आने वाले समय में गुणवत्ता नियंत्रण और मूल्यांकन करेके संभावित दवाओं का निर्माण करके इस संपदा का उपयोग करके क्षेत्र की जैव आर्थिकी का उन्नयन किया जा सके। यह आत्मनिर्भर भारत की और एक सार्थक कदम होगा।
समारोह में “जिज्ञासा” कार्यक्रम के अंतर्गत प्रदेश के काँगड़ा जिले के नवोदय विद्यालय, पपरोला, राजकीय विद्यालय, सलियाना, डीएवी पालपमुर, डीएवी, आलमपुर, न्यूगल पब्लिक स्कूल, बृंदावन, परमार्थ स्कूल, बैजनाथ, ग्रीन फील्ड स्कूल, नगरोटा के लगभग 100 छात्रों व शिक्षकों नें भाग लिया तथा प्रयोगशालाओं का भ्रमण किया। इन विद्यार्थियों को संस्थान में विज्ञान के बारे में रोचक जानकारी देने के साथ यह बताया कि दैनिक जीवन में इसका क्या महत्त्व है।
इस अवसर पर, सीएसआईआर-आईएचबीटी द्वारा मैसर्स बिटबेकर रामनट्टुकरा, कोझीकोड, केरल के साथ यात्रा/पॉकेट परफ्यूम एवं वायु फ्रेशनर और मैसर्स अमलगम बायोटेक, अमलगम इंजीनियरिंग पुणे (एमएच) के साथ "कम्पोस्ट बूस्टर- रात की मिट्टी/रसोई के कचरे के स्थिरीकरण के लिए प्रौद्योगिकी हस्तांतरण समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए। "आईबीएसडी और सीएसआईआर-आईएचबीटी के बीच अनुसंधान एवं विकास सहयोग के उद्देश्य से एक समझौता ज्ञापन पर भी हस्ताक्षर किए गए।
क्षेत्र के गणमान्य व्यक्तियों, सीएसआईआर-आईएचबीटी के वैज्ञानिकों, शोध छात्रों, कर्मियों एवं मीडिया प्रतिनिधियों ने भी समारोह की शोभा बढ़ाई।
CSIR-Institute of Himalayan Bioresource Technology (IHBT) celebrated National Technology Day on 11 May 2022. The nation celebrates National Technology Day on 11 May every year as a symbol of the pursuit of technological creativity and scientific empowerment for integration of society and industry through science and technology. This day is celebrated on the successful nuclear test conducted in Pokhran in 1998 and becoming the sixth nuclear country in the world.
Dr. Sanjay Kumar, Director of the institute address the august gathering. In his address, he told how digital technology has brought a change in our lives. This has given impetus to the spread of knowledge. The Institute is contributing to the socio-economic development of the communities through its mission mode projects. Under the Aromatic and Medicinal Plant Mission, the institute is playing an active role in increasing the income of farmers by growing aromatic crops and its processing, due to which farmers are moving towards self-reliance by getting more income than traditional crops. In his address, he guided the students to develop scientific aptitude. He discussed the important technological and scientific achievements, which help in making concerted efforts towards self-reliant India.
Chief guest of the function Prof. Pulok Kumar Mukherjee, Director, Institute of Bioresources and Sustainable Development (IBSD), Imphal, Manipur delivered the Technology Day speech on the theme 'Ethnopharmacology: Integrating Shastra and Science from Tradition to Translation'. In his address, Dr. Mukherjee highlighted the contribution in the development of plant based medicine in the field of health. According to the folklore tradition, there is a need to save the traditional knowledge and its use and dissemination in the modern medicine field. The entire Himalayan region is a source of medicinal plant wealth. There is a need for its documentation so that the bio-economy of the area can be upgraded by utilizing this wealth and manufacturing potential drugs through quality control and evaluation in the future. It will be another meaningful step towards self-reliance.
Under "JIGYASA", over 100 students and teachers of Navodaya Vidyalaya, Paprola, Government School, Saliana, DAV, Palampur, DAV, Alampur, Neugal Public School, Brindavan, Parmarth School, Baijnath, Green Field School, Nagrota participated in the Technology Day function and visited various laboratories.
On this occasion, CSIR-IHBT signed Technology Transfer Agreements with M/s Bitbaker Ramanattukara, Kozhikode, Kerala for travel/pocket perfume and air freshener and M/s Amalgam Biotech, Amalgam Engineering Pune (MH) for “Compost Booster – Stabilization of Night Soil/Kitchen Waste. A Memorandum of Understanding between IBSD and CSIR-IHBT aimed at R&D cooperation was also signed.
Dignitaries from the Palampur and faculty from adjoining institutes, scientists, research students & staff of CSIR-IHBT and media representatives also graced the function.
सीएसआईआर-आईएचबीटी में पोषण मैत्री अभियान पर कार्यक्रम
closeसीएसआईआर-आईएचबीटी में पोषण मैत्री अभियान पर कार्यक्रम
सीएसआईआर-आईएचबीटी में दिनांक 25 अप्रैल 2022 को महिला एवं बाल विकास निदेशालय, भारत सरकार के सहयोग से पोषण अभियान के अन्तर्गत सीएसआईआर-आईएचबीटी द्वारा समन्वित पोषण मैत्री कार्यक्रम की प्रगति एवं भविष्य कार्ययोजना पर समारोह किया गया।
समारोह में मुख्य अतिथि डॉ. निपुण जिंदल, उपायुक्त कांगड़ा, हिमाचल प्रदेश ने पोषण मैत्री कार्यक्रम के सफल संचालन के लिए सीएसआईआर-आईएचबीटी, बाल विकास परियोजना अधिकारियों एवं सभी उपस्थित प्रतिभागियों को बधाई दी। अपने संबोधन में उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय परिवार और स्वास्थ्य सर्वेक्षण 2016 एवं 2020 के आंकड़े बहुत ही चिंतनीय हैं। बच्चों एवं महिलाएं सामान्य से कम वजन, स्टंटिंग या एनीमिया से कुपोषित हैं। पोषण पर नीति तर्कसंगत होनी चाहिए। संस्थान द्वारा पोषण हेतु विकसित उत्पादों के परिणाम एवं कार्यक्रम बहुत ही सकारात्मक हैं। इसे देखते हुए इस कार्यक्रम को पूरे जिला कांगड़ा में विस्तार करने पर विचार किया जाएगा। साथ ही 0 से 2 वर्ष के बच्चों को भी इस पोषण अभियान के अन्तर्गत लाने की आवश्यकता है।
इससे पूर्व डॉ. संजय कुमार, निदेशक, सीएसआईआर-आईएचबीटी ने बताया कि संस्थान ने बच्चों एवं महिलाएं के लिए पोषण हेतु आयरन, प्रोटीन और फाइबर युक्त उत्पादों को विकसित किया है। विटामिन डी से भरपूर सिटाके मशरुम केप्सूल भी तैयार किए हैं। उन्होंने आगे बताया कि सीएसआईआर-आईएचबीटी ने अनाजों और दालों, सूक्ष्म शैवाल और कम उपयोग वाले कृषि-बागवानी उत्पादों का उपयोग करके प्रोटीन एवं सूक्ष्म पोषक तत्वों के कुपोषण से निपटने के लिए विभिन्न कम लागत वाले उत्पाद विकसित किए हैं। प्रि-क्लीनिकल पशु मॉडल में इसकी जैव-प्रभावकारिता के लिए उत्पादों का मूल्यांकन किया गया है और बड़े पैमाने पर पूरक कार्यक्रमों में एकीकरण के लिए चिकित्सकीय परीक्षण भी किया गया है।
संस्थान के निदेशक डा. संजय कुमार ने माननीय राज्यपाल का स्वागत करते हुए संस्थान की प्रमुख उपलब्धियों एवं गतिविधियों का विवरण प्रस्तुत करते हुए बताया कि संस्थान द्वारा किसानों को सुगंधित फसलें विशेषकर जंगली गेंदे को उगाने एवं इसके प्रसंस्करण के लिए अलग-अलग राज्यों में आसवन इकाइयाँ स्थापित की गईं। संस्थान, ग्रामीण क्षेत्रों में जंगली गेंदे, दमस्क गुलाब, लेमन घास, सुगंधबाला आदि जैसे सुगंधित फसलों की खेती और प्रसंस्करण द्वारा किसानों की आय बढ़ाने में सक्रिय भूमिका निभा रहा है जिससे किसान परम्परागत फसलों की अपेक्षा अधिक आय प्राप्त करके आत्मनिर्भता की ओर बढ़ रहे हैं। प्रशिक्षण कार्यक्रमों के माध्यम से किसानों, बेरोजगार युवाओं, उद्यमियों में क्षमता निर्माण संस्थान का एक महत्वपूर्ण पक्ष रहा है। उन्होंने कहा कि संस्थान ने बड़ी संख्या में लोगों को फूलों की खेती और शहद उत्पादन के क्षेत्रों से जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। दालचीनी एवं मोती उत्पादन के क्षेत्र में भी संस्थान ने कदम आगे बढ़ाए हैं। हींग और केसर की शुरूआत के अलावा, संस्थान ने दालचीनी और मोती की खेती के क्षेत्र में भी प्रगति की है। उन्होंने आगे कहा कि प्रशिक्षण कार्यक्रमों के माध्यम से किसानों, बेरोजगार युवाओं, उद्यमियों के बीच क्षमता निर्माण संस्थान का एक महत्वपूर्ण पहलू रहा है।
इस अवसर पर डॉ विद्याशंकर, सीएसआईआर-आईएचबीटी ने पोषण अभियान के अंतर्गत किए गए कार्यों पर संक्षिप्त प्रेजेंटेशन दी। श्री अश्विनी कुमार, जिला कार्यक्रम अधिकारी एवं श्रीमती रेणु शर्मा, बाल विकास परियोजना अधिकारी, पंचरूखी ने भी अपने विचार रखे।
इस कार्यक्रम में उपमडंल अधिकारी डा. अमित गुलेरिया, बाल विकास परियोजना अधिकारी बैजनाथ, पंचरूखी, भवारना, सुलह, लंबागांव, पोषण अभियान सुपरवाइजर एवं समन्वयक, आंगनबाड़ी एवं आशा कार्यकर्ता और सीएसआईआर-आईएचबीटी संस्थान के स्टाफ ने प्रतिभागिता की।
सीएसआईआर-आईएचबीटी में राष्ट्रीय विज्ञान दिवस का आयोजन
closeसीएसआईआर-आईएचबीटी में राष्ट्रीय विज्ञान दिवस का आयोजन
National Science Day celebration at CSIR-IHBT
हिमाचल को मिली अपनी मिठाई - 'रेडी टू ईट इंस्टेंट सीरा (हिमाचली स्वीट)'
Himachal gets its sweet - Ready to Eat instant Seera (Himachali Sweet)
सी.एस.आई.आर.-हिमालय जैवसंपदा प्रौद्योगिकी संस्थान, पालमपुर में हर वर्ष की भांति 28 फरवरी को राष्ट्रीय विज्ञान दिवस मनाया गया। डा. चन्द्रशेखर वैंकटरमन द्वारा 28 फरवरी 1928 को ‘रमन प्रभाव’ की खोज के लिए उन्हें 1930 में भौतिकी के लिए नोबल पुरस्कार प्रदान किया गया था। इस खोज के स्मरण में प्रत्येक वर्ष इस दिन को पूरे देश में राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के रुप में मनाया जाता है।
इस अवसर पर मुख्य अतिथि महामहिम राज्यपाल हिमाचल प्रदेश श्री राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने राष्ट्रीय विज्ञान दिवस की शुभकामनाएं देते हुए संस्थान शोध गतिविधियों एवं उद्यमिता विकास एवं ग्रामीण आर्थिकी के उन्नयन में महत्वपूर्ण भूमिका एवं योगदान के लिए संस्थान की सराहना की।अपने संबोधन में राज्यपाल ने कहा कि विज्ञान का उपयोग मानव जाति के उत्थान के लिए होना चाहिए। माननीय राज्यपाल ने अपने संबोधन में कहा कि विज्ञान में हमारी शिक्षा अतीत में हमारे पूर्वजों से विरासत में मिली है। उन्होंने आगे कहा कि किसी भी विज्ञान प्रयास का अंतिम उद्देश्य समाज कल्याण और जीवन की सुगमता को बढ़ावा देना है। यह महत्वपूर्ण है कि वैज्ञानिक ज्ञान को तर्कसंगत तरीके से लागू किया जाए अन्यथा यह विनाश का कारण बन सकता है। उन्होंने वैज्ञानिकों को टीम भावना के माध्यम से जन समुदाय के उत्थान के लिए कार्य करने का आह्वान किया । उन्होंने इसे कविता के माध्यम से बताया ‘चलो जलाएं दीप वहां जहां अभी भी अंधेरा है।’
इस अवसर पर राज्यपाल महोदय ने ऑनलाइन माध्यम से प्रदेश के 6 दूरदराज के क्षेत्रों में तेल आसवन इकाईयों का लोकापर्ण किया तथा स्थानीय किसानों से विचार सांझा तथा संस्थान परसिर में पंहुचे प्रगतिशील किसानों को सगंध फसलों की रोपण एवं बीज सामग्री भी प्रदान की। संस्थान के ट्यूलिप गार्डन का उद्घाटन और संस्थान के विभिन्न प्रकाशनों का विमोचन भी राज्यपाल महोदय के करकमलों द्वारा किया गया। राज्यपाल महोदय ने ‘सिडार हाइड्रोसोल’ नामक स्टार्ट-अप के उत्पादों को लोकार्पित किया। राज्यपाल महोदय ने संस्थान परिसर में पौधारोपण एवं नए प्रशासनिक भवन का शिलान्यास किया। राज्यपाल की उपस्थिति में 'टी माउथवॉश' और 'रेडी टू ईट इंस्टेंट सीरा (हिमाचली स्वीट)' के लिए दो प्रौद्योगिकी हस्तांतरण समझौतों पर भी हस्ताक्षर किए गए।
संस्थान के निदेशक डा. संजय कुमार ने माननीय राज्यपाल का स्वागत करते हुए संस्थान की प्रमुख उपलब्धियों एवं गतिविधियों का विवरण प्रस्तुत करते हुए बताया कि संस्थान द्वारा किसानों को सुगंधित फसलें विशेषकर जंगली गेंदे को उगाने एवं इसके प्रसंस्करण के लिए अलग-अलग राज्यों में आसवन इकाइयाँ स्थापित की गईं। संस्थान, ग्रामीण क्षेत्रों में जंगली गेंदे, दमस्क गुलाब, लेमन घास, सुगंधबाला आदि जैसे सुगंधित फसलों की खेती और प्रसंस्करण द्वारा किसानों की आय बढ़ाने में सक्रिय भूमिका निभा रहा है जिससे किसान परम्परागत फसलों की अपेक्षा अधिक आय प्राप्त करके आत्मनिर्भता की ओर बढ़ रहे हैं। प्रशिक्षण कार्यक्रमों के माध्यम से किसानों, बेरोजगार युवाओं, उद्यमियों में क्षमता निर्माण संस्थान का एक महत्वपूर्ण पक्ष रहा है। उन्होंने कहा कि संस्थान ने बड़ी संख्या में लोगों को फूलों की खेती और शहद उत्पादन के क्षेत्रों से जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। दालचीनी एवं मोती उत्पादन के क्षेत्र में भी संस्थान ने कदम आगे बढ़ाए हैं। हींग और केसर की शुरूआत के अलावा, संस्थान ने दालचीनी और मोती की खेती के क्षेत्र में भी प्रगति की है। उन्होंने आगे कहा कि प्रशिक्षण कार्यक्रमों के माध्यम से किसानों, बेरोजगार युवाओं, उद्यमियों के बीच क्षमता निर्माण संस्थान का एक महत्वपूर्ण पहलू रहा है।
समारोह में क्षेत्र के गणमान्य व्यक्तियों, सीएसआईआर-आईएचबीटी के वैज्ञानिकों, शोध छात्रों एवं कर्मियों और मीडिया प्रतिनिधियों ने भी समारोह की शोभा बढ़ाई।
CSIR-Himalayan Institute of Bioresource Technology, Palampur celebrated National Science Day on 28 February, 2022. National Science Day is celebrated on February 28 to commemorate the discovery of Raman Effect by Indian physicist, Sir Chandrasekhara Venkata Raman for which he was awarded Noble prize in 1930.
Chief Guest of the occasion, Hon'ble Governor Himachal Pradesh, Shri Rajendra Vishwanath Arlekar, while congratulating the audience on National Science Day, appreciated the institute for its important role and contribution in research activities, entrepreneurship development and upgradation of rural economy. In his address, the Hon'ble Governor told that our learning in Science has been inherited from our ancestors in the past. He further said that the ultimate objective of any science endeavor is societal welfare and to promote ease of living. It is important that scientific knowledge to be implemented in rational manner or else it may lead to destruction as can be seen in the ongoing wars between different nations. He called upon the scientists of the institute to work for the upliftment of the people through team spirit and cited the phrase of a poem 'Let's light the lamp where there is still darkness'.
Hon'ble Chief Guest inaugurated oil distillation units in six remote areas of the state through online medium and interacted with local farmers. He also distributed seed and planting material of aromatic crops to the progressive farmers and released different publications of the institute. He further launched a start-up program named 'Cidar Hydrosol' and inaugurated Tulip garden of the institute. The Governor also laid the foundation stone of a new administrative building in the institute campus. Two technology transfer agreements were signed in the presence of the Governor for ‘Tea Mouthwash’ and ‘Ready to Eat instant Seera (Himachali Sweet)’.
The director of the institute, Dr Sanjay Kumar while presenting the details of the major achievements and activities of the institute, said that the institute successfully installed distillation units in different states which encouraged the farmers to grow aromatic crops. The institute is playing an active role in increasing the income of farmers by cultivating and processing aromatic crops like wild marigold, damask rose, lemon grass etc., due to which farmers are moving towards self-reliance by getting more income than traditional crops. He said that institute played significant role in connecting large number of people to the areas of floriculture and honey production. Besides introduction of asafoetida and saffron, the institute has also made strides in the field of cinnamon and pearl cultivation. He further said that capacity building among farmers, unemployed youth, entrepreneurs through training programs has been an important aspect of the institute.
Dignitaries from the adjoining institutes, state department, CSIR- research students & staff and media representatives also graced the function.
सीएसआईआर-आईएचबीटी में विश्व हिंदी दिवस का आयोजन
closeसीएसआईआर-आईएचबीटी में विश्व हिंदी दिवस का आयोजन
सीएसआईआर- हिमालय जैवसंपदा प्रौद्योगिकी संस्थान पालमपुर में 10 जनवरी 2022 को विश्व हिंदी दिवस का आयोजन किया गया।
इस अवसर पर डा. कृष्ण मोहन पाण्डेय, आचार्य एवं वेद विशेषज्ञ ने ‘हिंदी भाषा-व्यापकता एवं महत्व’ विषयक अपने संबोधन में राजभाषा हिंदी के राष्ट्रीय, ऐतिहासिक परिदृश्य पर महत्वपूर्ण एवं ज्ञानवर्धक व्याख्यान दिया। अपने संबोधन में डा. पाण्डेय ने भाषा के उद्भव, क्रमिक विकास, चुनौतियां और संभावनाओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने विज्ञान को जनभाषा में प्रचारित एवं प्रसारित करने की दिशा में आत्मचिंतन के लिए प्रेरित किया।
संस्थान के निदेशक डा. संजय कुमार ने अपने अध्यक्षीय संबोधन में कहा कि अपने भावों को जितनी सहजता एवं सरलता से अपनी भाषा में अभिव्यक्त कर सकते हैं वो अन्य भाषा से नहीं कर सकते हैं। उन्होंने विज्ञान को जन-जन तक पंहुचाने की दिशा में किए जा रहे प्रयासों की जानकारी दी। उन्होंने अवगत कराया कि संस्थान द्वारा विकसित प्रौद्योगिकियों को उसके उपयोगकर्ता तक पंहुचाने के लिए सरल एवं जन भाषा का उपयोग करते हुए हम आगे बढ़ रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि विश्व हिन्दी दिवस का उद्देश्य विश्व में हिंदी के प्रचार-प्रसार के लिये जागरूकता पैदा करना, हिंदी को अंतराष्ट्रीय भाषा के रूप में पेश करना, हिन्दी के लिए वातावरण निर्मित करना, हिन्दी के प्रति अनुराग पैदा करना है।
Immunity Modulation ‘IMMUST PRO’ Herbal Product Launched
closeप्रतिरक्षा बढ़ाने वाले 'IMMUST PRO' हर्बल उत्पाद का लॉन्च
Immunity Modulation ‘IMMUST PRO’ Herbal Product Launched
‘IMMUST PRO (इम्युनिटी मॉड्यूलेटर)’ उत्पाद, मेसर्स विगदा केयर प्राइवेट लिमिटेड, नई दिल्ली द्वारा 16 जुलाई, 2021 को लॉन्च किया गया। CSIR-IHBT ने कंपनी को प्रतिरक्षा बढ़ाने वाले उत्पाद के लिए तकनीक हस्तांतरित की है। सीएसआईआर-आईएचबीटी के निदेशक डॉ. संजय कुमार ने कंपनी के संस्थापक श्री अमित मंधार और सह-संस्थापक श्री रोहित शर्मा और सुश्री दीपिका चौधरी की उपस्थिति में उत्पाद लॉन्च किया। इस अवसर पर डॉ. के के शर्मा (सलाहकार), डॉ अरुण चंदन (क्षेत्रीय निदेशक, भारतीय चिकित्सा अनुसंधान संस्थान, राष्ट्रीय औषधीय पौधे बोर्ड), डॉ शशि भूषण (प्रधान वैज्ञानिक, सीएसआईआर-आईएचबीटी), डॉ सुखजिंदर सिंह (वरिष्ठ वैज्ञानिक सीएसआईआर-आईएचबीटी), डॉ. कुलदीप सिंह (वैज्ञानिक सीएसआईआर-आईएचबीटी) और प्रेस और मीडिया के लोग भी उपस्थित थे। डॉ. संजय कुमार ने प्रौद्योगिकी के बारे में बताया और कहा कि यह फॉर्मूलेशन आसानी से उपलब्ध जैव संसाधनों पर आधारित है और भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) द्वारा सूचीबद्ध है। इसमें चाय, जड़ी-बूटियों और मसालों का एक अनूठा संयोजन है, जिसे प्रतिरक्षा मॉडुलन के लिए प्रीक्लिनिकल परीक्षणों के माध्यम से परखा गया है। आयोजन के दौरान, श्री अमित कुमार और टीम के अन्य सदस्यों ने उत्पाद के निर्माण और विपणन और जनता के लिए इसकी उपलब्धता के लिए किए जा रहे प्रयासों पर प्रकाश डाला। यह जानते हुए कि रोकथाम इलाज से बेहतर है, प्राकृतिक अवयवों पर आधारित प्रतिरक्षा बढ़ाने वाले खाद्य पदार्थों और पूरक आहार की आवश्यकता पर जन-सहमति बढ़ रही है। वर्तमान में, यह फॉर्मूलेशन टैबलेट प्रारूप में निर्मित है, हालांकि, निकट भविष्य में व्यापक उपभोक्ता स्वीकार्यता के लिए इसे किसी भी खाद्य मैट्रिक्स में जोड़ा जा सकता है।
IMMUST PRO (Immunity Modulator) product launched by M/s Vigada Care Private Ltd., New Delhi on July 16, 2021. CSIR-IHBT has transferred the technology for the immunity-enhancing product to the company. Dr. Sanjay Kumar, Director, CSIR-IHBT, launched the product in the presence of the company’s founder, Mr. Amit Mandahar and co-founder Mr. Rohit Sharma and Ms. Deepika Chaudhary. On this occasion, Dr. K. K. Sharma (Advisor), Dr. Arun Chandan (Regional Director, Research Institute in Indian Systems of Medicine, National Medicinal Plants Board), Dr. Shashi Bhushan (Principal Scientist, CSIR-IHBT), Dr. Sukhjinder Singh (Sr. Scientist CSIR-IHBT), Dr. Kuldeep Singh (Scientist CSIR-IHBT) and persons from press & media were also present.
Dr. Sanjay Kumar delineated about the technology and informed that this formulation is based on easily available bioresources and listed by Food Safety and Standards Authority of India (FSSAI). It has a unique combination of tea, herbs and spices, which has been tested through preclinical trials for immunity modulation.
First-plantation of Heeng plant in India
closeLahaul valley ventures to be Spice Destination of the country
हिमालय जैवसंपदा प्रौद्योगिकी संस्थान, पालमपुर ने प्रदेश में पहली बार हींग की खेती की शुरुआत करने का बीड़ा उठाया है। इसकी शुरुआत संस्थान के निदेशक डा. संजय कुमार ने प्रदेश के शीत मरुस्थल जिला लाहौल स्पीति से की है। उन्होंने बताया कि पूरे विश्व में हींग की खपत भारत में सबसे अधिक है, किन्तु भारत में इसका उत्पादन नहीं होता तथा देश हींग के लिए पूरी तरह से दूसरे देशों पर आश्रित रहता है । वर्तमान में 600 करोड़ रुपये के लगभग 1200 मेट्रिक टन कच्ची हींग अफ़ग़ानिस्तान, ईरान, उज्बेकिस्तान से आयात की जाती है। राष्ट्रीय पादप आनुवंशिकी संसाधन ब्यूरो ने इस बात की पुष्टि की है कि पिछले तीस वर्षों में हींग के बीज का आयात हमारे देश में नहीं हुआ है और यह प्रथम प्रयास है जब हिमालय जैवसंपदा प्रौद्योगिकी संस्थान, पालमपुर ने हींग के बीज का आयात किया है । अब संस्थान ने कृषि विभाग, हिमाचल प्रदेश के साथ मिलकर हींग की खेती को बढ़ावा देने के लिए हाथ मिलाया है । किसानों की आय को बढ़ाने के लिए हींग की खेती एक मील का पत्थर साबित हो सकती है तथा आयात पर होने वाले खर्च में भी कमी आएगी।
संस्थान के वैज्ञानिक डा. अशोक कुमार तथा डा. रमेश ने लाहौल स्पीति के मडग्रां, बीलिंग, केलांग तथा कवारिंग क्षेत्रों में किसानों को कृषि विभाग के अधिकारियों की उपस्थिति में हींग की खेती पर प्रशिक्षण दिया तथा हींग के बीज उत्पादन हेतु परदर्शनी क्षेत्र स्थापित किया। डा. अशोक कुमार ने बताया कि हींग एक बहुवर्षीय पौधा है तथा पाँच वर्ष के उपरांत इसकी जड़ों से ओलिओ गम रेजिन निकलता है, जिसे शुद्ध हींग कहते है । इसकी खेती के लिए यहाँ कि जलवायु उपुक्त है तथा इसकी खेती आसानी से की जा सकती है । इसकी खेती के लिए ठंड के साथ पर्याप्त धूप का होना अति आवश्यक है। डा. रमेश ने हींग की विभिन्न कृषि तकनीकों के बारे में विस्तृत जानकारी किसानों को दी ।
Farmers of the remote Lahaul valley in Himachal Pradesh are taking up cultivation of Heeng to utilize vast expanses of waste land in the cold desert conditions of the region. In their efforts, the farmers are being supported by scientists of the CSIR-Institute of Himalayan Bioresource Technology (IHBT), Palampur, who have developed agrotechnology of ‘Heeng’, which is a high value spice crop. Heeng is one of the top condiment and medicinal plant traded in India. Raw asafoetida (heeng) is extracted from the fleshy roots of Ferula assa-foetida as an oleo-gum resin. India imports about 1200 tonnes of raw asafoetida annually from Afghanistan, Iran and Uzbekistan and spends approximately 77 million USD (approx. Rs. 600 crores) per year on import of asafoetida. There is no availability of Ferula assa-foetida plants in India and availability of characterized quality planting material and identification of suitable location for its cultivation is one of the major bottlenecks in cultivation of this crop.
With the goal to promote its wide spread cultivation in India, Dr. Sanjay Kumar, Director, CSIR-IHBT, Palampur and Dr. Ashok Kumar, Senior Scientist made relentless efforts for introducing heeng in the country through proper channel and finally, introduced heeng seeds (six accessions) for the first time in the country from Iran through ICAR-NBPGR, New Delhi in October 10, 2018 vide import permit Nos. 318/2018 (July 25, 2018) & 409/2018 (September 12, 2018). The Institute raised the plants of heeng at CeHAB, Ribling, Lahaul & Spiti, H.P. under the vigil of NBPGR. Dr. Ashok Kumar, Senior Scientist and his team standardized its germination by overcoming seed dormancy and raised the seedlings in the nursery for its cultivation. The plant prefers cold and dry conditions for its growth, therefore cold desert conditions of Indian Himalayan region are suitable for cultivation of Heeng. Recognizing the efforts of the Institute, Chief Minister of Himachal Pradesh announced the introduction and cultivation of Heeng in Himachal Pradesh in his budget speech, on March 6, 2020. Consequently, MoU between CSIR-IHBT and State Department of Agriculture, Himachal Pradesh was signed on June 6, 2020 for a joint collaboration for the cultivation of heeng in the State.
Dr. Sanjay Kumar, Director, CSIR-IHBT initiated the heeng cultivation program by planting heeng seedling at village Kwaring of Lahaul valley. CSIR-IHBT scientists Dr. Ashok Kumar and Dr. Ramesh conducted the training program on Heeng cultivation and laid out heeng demonstration plot for seed production in the village in collaboration with officers of State Agriculture Department. Similar trainings were conducted and also demonstration plots for seed production were laid out at village Madgran, Beeling and Keylong of Lahaul valley of Himachal Pradesh.
Expression of Interest (EOI)
closeCSIR-IHBT invites Expression of Interest (EOI) for following technologies :
- Commercial micropropagation protocol of Ajuga parviflora (Neelkanthi)
- Commercial micropropagation protocol of Chlorophytum comosum (Thunb.) Jacques var. comosum (Spider plant)
- Bioactive leads for therapeutic use
- A synergistic formulation against acne and a process for the preparation thereof
- A process for the stereospecific conversion of camphor into borneol
- Process technology for preparation of RTS beverage from Rhododendron arboreum flowers
- Process technology for commercial production of Millet Panjeeri
- Diagnostic Marker for True Cinnamon Identification
- Technology for Artifact making using dry flowers
- Process for Ready to Eat Instant Seera in the Convenience Package
- Botanical formulation for the control of aphids
- Production of unique autoclavable superoxide dismutase (SOD) enzyme
- Technology for Preparation of Tea Mouthwash
- Extraction and Purification Process of Aescin from Indian Horse Chestnut and Herbal Formulations to Treat Varicose Veins
- Repurposing of Ayurveda based herbal formulation for COVID19
- Herbal Formulation for Immunity Modulation
- Technology for Formulation of Herbal Incense Cones from Herbs and Flowers
- Technology for Preparation of Hand Sanitizer
- Economical Herbal Soap (Bar and Liquid)
- Technology for Preparation of Tea Vinegar
- Technologies for Production of Plant Growth Promoting Microbes
- Edible Natural Colours
- Herbal Lipstick
- Technology for Low cost indigenized bioreactor system
- Technology for Valeriana jatamansi adventitious root culture
- Technology for commercial production of Spirulina based energy bar
- Technology for commercial production of multigrain high protein beverage and instant soup mixes
- Technology for Improved Varieties of Calla lily and Gerbera Cultivars
- Technology for Mini Distillation Unit HerbostillTM
- Technology for IRISTM – An Easy Solution to RNA Isolation
- Technology for Developing L-Asparaginase with Low Glutaminase Activity for Therapeutic Applications
- Technology for 4-substituted cyclohexane-1,3-dione Synthesis
- Technology for Preparation of Ready to Serve Instant Teas
- Technology for Preparation of Tea Wine
- Evaluation of Socio-economic Impact of technologies developed by CSIR-IHBT
- Technology for Preparation of Herbal Teas
- Technology for commercial production of Value Added Buckwheat Products
- Technology for commercial production of ready-to-eat Crispy Fruits
- Technology for commercial production of ready-to-eat ethnic food especially Kangra Dham (Rajma ka Madra,Taliye Dal,Khatta Chana,Raita(Mithri) etc.
हिन्दी रूपांतर
- अजुगा परविफ्लोरा (नीलकंठी) की वाणिज्यिक सूक्ष्मप्रवर्धन विधि/ प्रोटोकॉल
- क्लोरोफाइटम कोमोसम (थुनब.) जैक्स वर. कोमोसम (स्पाइडर प्लांट) की वाणिज्यिक सूक्ष्मप्रवर्धन विधि/ प्रोटोकॉल
- चिकित्सीय उपयोग के लिए जैवसक्रिय लीड्स
- मुँहासो के विरुद्ध एक सहक्रियात्मक लेपउत्पाद और उसकी तैयारी की प्रक्रिया
- कपूर से बोर्नियोल में स्टीरियोस्पेसिफिक रूपांतरण की एक प्रक्रिया
- बुरांश (रोडोडेंड्रोन आर्बोरियम) फूलों से आरटीएस पेय तैयार करने की प्रक्रिया प्रौद्योगिकी
- मोटे अन्न की पंजीरी के व्यावसायिक उत्पादन के लिए प्रक्रम प्रौद्योगिकी
- सच्ची दालचीनी की पहचान के लिए डायग्नोस्टिक मार्कर
- सूखे पुष्पों का उपयोग करके कलाकृति बनाने की तकनीक
- सुविधाजनक पैकेज में रेडी टू ईट सीरा प्रक्रिया
- एफिड्स नियंत्रण हेतु वानस्पतिक सूत्रीकरण
- विशिष्ट ऑटोक्लेवबल सुपरऑक्साइड डिसम्यूटेज (सॉड) एंजाइम का उत्पादन
- चाय आाधारित माउथवॉश तैयार करने की प्रौद्योगिकी
- वनखोड़ (भारतीय हॉर्स चेस्टनट) से एसिन का निष्कर्षण एवं शुद्धिकरण प्रक्रिया और वैरिकाज़ नसों के इलाज के लिए हर्बल फॉर्मूलेशन
- COVID19 के लिए आयुर्वेद आधारित हर्बल फार्मुलेशन
- जड़ी बूटियों और फूलों से हर्बल धूप कोन प्रौद्योगिकी
- हैंड सैनिटाइजर निर्माण प्रौद्योगिकी
- किफायती/सस्ता हर्बल साबुन (टिकिया और तरल)
- चाय सिरका (विनेगर) तैयार करने की तकनीक
- पादप वृद्धि में सहायक जीवाणु उत्पादन प्रौद्यागिकी
- खाद्य प्राकृतिक रंग
- हर्बल लिपिस्टिक
- कम लागत युक्त स्वदेशी बायोरिएक्टर सिस्टम
- वेलेरियाना जटामांसी अपस्थानिक जड़ संवर्धन प्रौद्योगिकी
- स्पिरूलिना आधारित एनर्जी बार के व्यवसायिक उत्पादन के लिए प्रौद्योगिकी
- बहु अन्नीय (मल्टीग्रेन) उच्च प्रोटीन पेय और तत्काल (इन्स्टेंट) सूप के व्यवसायिक उत्पादन की प्रौद्योगिकी
- कैला लिलि तथा जरबेरा की उन्नत किस्मों
- मिनी डिस्टिलेशन यूनिट हर्बोस्टिल ट्रेडमार्क
- रेडी टू सर्व चाय निर्माण प्रौद्योगिकी
- टी- वाइन बनाने के लिए प्रौद्योगिकी
- सामाजिक आर्थिक प्रभाव का मूल्यांकन
- हर्बल चाय बनाने के लिए प्रौद्योगिकी
- मूल्यवर्धित बक्कबीट के व्यवसायिक उत्पादन के लिए प्रौद्योगिकी
- रेडी टू ईट क्रिस्पी फ्रूट की व्यवसायिक उत्पादन के लिए प्रौद्योगिकी
- रेडी टू ईट परम्परागत व्यंजन के व्यवसायिक उत्पादन के लिए प्रौद्योगिकी
CSIR Integrated Skill Initiative
close
Situated among pristine environs in the lap of Dhauladhar ranges, CSIR-IHBT has a focused research mandate for sustainable development of bioresources to enhance bioeconomy in the Himalayan region. The young and dynamic team of the scientists, the technicians and research scholars works dedicatedly to discover and find solutions to new challenging problems relevant to the society. National and international collaborations further strengthen scientific interactions at a global scale. Promoting industrial growth through technological interventions is a constant endeavor and several technologies developed by the institute are transferred to industries and generated employment opportunities.
CSIR-IHBT invites application for the following Skill Development Training Programme :
- Call for Application for Plant Tissue Culture Technician under CSIR- Integrated Skill Initiative (Download Application Form)
- Call for Applications for Courses under CSIR- Integrated Skill Initiative (Phase –II) (Download Application Form)
- Animal Breeding and Housing Practices | (Download Application Form)
- Hands-on Laboratory Experiment and Analytical Exposure | (Download Application Form)
- Gardener | (Download Application Form)
- Plant Tissue Culture | (Download Application Form)
- Floriculturist-Protected Cultivation | (Download Application Form)
- Laboratory Practices in Animal House | (Download Application Form)
Institute Brochure
closeCSIR - Institute of Himalayan Bioresource Technology , Palampur. Ultimate destination for research on bioresources
Call of Proposals
closeInvitation for proposals from MSEs/Innovators for working in the CRTDH established at CSIR-IHBT, Palampur